श्रमजीवी विस्फोट कांड के आतंकियों को 19 साल बाद फांसी की सजा सुनाई गई,
जौनपुर की एक अदालत ने हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी (हूजी) के दो बांग्लादेशीयों को बुधवार को सजा सुनाई है, जिन्हें दिसंबर 2005 में श्रमजीवी एक्सप्रेस में बम विस्फोट के लिए दोषी ठहराया गया है,
श्रमजीवी एक्सप्रेस विस्फोट कांड में 14 लोगों की हुई थी मौत, फांसी की सजा का हुआ ऐलान, नाफिकुल और हीलाल को फांसी की सजा सुनाई गई है, दोनों आतंकियों पर 5-5 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है, 14 लोगों की मौत पर 19 साल बाद सजा का ऐलान हुआ है, श्रमजीवी विस्फोट कांड में सजा का ऐलान हो गया है। नाफिकुल और हीलाल को फांसी की सजा सुनाई गई है। दोनों आतंकियों पर 5-5 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। 14 लोगों की मौत पर 19 साल बाद सजा का हुआ ऐलान, 28 जुलाई 2005 को हुए विस्फोट कांड मे हुआ सजा का एलान,
अदालत ने हिलाल उर्फ हिलालुद्दीन और नफीकुल बिस्वास को 28 जुलाई 2005 को जौनपुर जिले के हरपालगंज क्रॉसिंग के पास दिल्ली जाने वाली श्रमजीवी एक्सप्रेस में विस्फोट में शामिल होने के लिए 22 दिसंबर को दोषी ठहराया था, जिसमें 14 यात्रियों की मौत हो गई थी और 62 घायल हो गए थे, हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी के दो गुर्गों – ट्रेन में बम रखने के आरोपी हिलालुद्दीन (बांग्लादेश के निवासी) और उसकी मदद करने के आरोपी नफीकुल बिस्वास (पश्चिम बंगाल के निवासी) को अदालत ने दोषी ठहराया था,