काशी और संगम को मिलाकर नई धार्मिक नगरी बसाएगी यूपी सरकार,
30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के आर्थिक लक्ष्य के लिए नीति आयोग ने भारत को 2047 तक ग्रोथ हब प्रोजेक्ट के तहत योजनाबद्ध तरीके से शहरी क्षेत्रों को विकसित करने के लिए देश के चार विकास केंद्र का प्रस्ताव दिया है।
इसमें वाराणसी एक प्रमुख केंद्र है। नीति आयोग द्वारा विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है।नीति आयोग के सुझाव पर यूपी सरकार वाराणसी- प्रयागराज योजना क्षेत्र विकसित करने जा रही है। संगम और काशी दोनों धार्मिक नगरी है। इसीलिए यह धार्मिक नगरी के रूप में भी मानते हुए विकसित किया,
नॉलेज पार्क के साथ मिलेंगी कई सुविधाएं,संगम और काशी दोनों धार्मिक नगरी है। इसीलिए यह धार्मिक नगरी के रूप में भी मानते हुए विकसित किया जाएगा। सरकार का मानना है कि इसके विकसित होने से औद्योगिक, नॉलेज पार्क के साथ ही अन्य जरूरी सुविधाएं लोगों को मिलेंगी और रोजगार के नए द्वार खुलने के साथ लोगों का पलायन भी रुकेगा। इसमें कुल सात जिलों को शामिल करने की योजना है, जिसका दायरा 22393 वर्ग किलो मीटर होगा,इसके तहत वाराणसी-प्रयागराज क्षेत्रीय प्राधिकरण गठन की संस्तुति की गई है। वाराणसी-प्रयागराज आर्थिक क्षेत्र पूर्वांचल यूपी के इन जिलों में 22.8 बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है, इसमें 2 करोड़ 37 लाख 73 हजार 643 आबादी है। राज्य सरकार वर्ष 2028-29 तक वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने की योजना है। नया जोन बनने से आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ेंगी और यहां रहने वालों के लिए रोजगार के नए द्वार खुलेंगे।काशी और प्रयागराज धार्मिक नगरीय होने का काफी फायदा मिलेगा। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ ही सारनाथ है। गाजीपुर में गंगा उत्तरवाहिनी हैं। प्रयागराज में संगम होने के साथ ही इसके आसपास धार्मिक क्षेत्र है। इसीलिए माना जा रहा है कि वाराणसी-प्रयागराज नया क्षेत्र बनाए जाने पर इन क्षेत्रों में धार्मिक उद्योग, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा तो मिलेगा ही साथ ही नए कॉलेज, धार्मिक उपयोगों से जुड़े छोटे और बड़े उद्योग तो लगेंगे ही साथ में प्रयागराज से वाराणसी के बीच जलमार्ग का उपयोग कर कारोबार को बढ़ाया जा सकेगा।
साभार