करोड़ों रुपया गंगा की रेत में बनाए गए नहर में बहा – प्रोफ़ेसर विशंभर नाथ मिश्र
करोड़ों रुपया गंगा की रेत में बनाए गए नहर में बहा – प्रोफ़ेसर विशंभर नाथ मिश्र
बिना योजना के बने इस प्रोजेक्ट से गंगा से निकला बालू फिर गंगा में समाहित
वाराणसी, शुक्रवार 30 जुलाई । करोड़ों रुपए की लागत से गंगा उस पार गंगा की रेत में बना नहर अब गंगा में ही समाहित हो रहा है। गंगा के जलस्तर में वृद्धि होने के साथ ही गंगा की रेत में नहर बनाने के लिए गंगा से ही निकला गंगा का बालू धीरे-धीरे करके गंगा में समाहित हो रहा है। इस प्रोजेक्ट को लेकर काशी के नदी वैज्ञानिकों ने शुरू से ही सवालिया निशान लगाते हुए इसको लेकर अपनी चिंता व्यक्त की थी। 6 जून को संकट मोचन फाउंडेशन द्वारा तुलसी घाट पर आयोजित गंगा विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए संकट मोचन फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं बीएचयू आईआईटी में प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र ने कहा था कि इस नहर के निर्माण से जहां डाउनस्ट्रीम में कटान बढ़ेगा वहीं पश्चिम मे सिल्ट का जमाव बढ़ेगा और नाहर बाढ़ में समाहित हो जाएगी तथा नदी का इकोसिस्टम बुरी तरह से प्रभावित होगा। उनकी इस बात को जिला प्रशासन ने अनदेखा कर दिया। साथ ही नदी वैज्ञानिक यूके चौधरी सहित देश के तमाम नदी वैज्ञानिकों ने गंगा में नहर बनाने पर सवाल उठाए थे लेकिन जिला प्रशासन ने उनकी बातों को दरकिनार करते हुए करोड़ों रुपया लगाकर नहर का निर्माण कराया ।बिना किसी ठोस योजना और बिना अध्ययन के करोड़ों रुपए की लागत से बनाया नहर्च गंगा में समाहित हो रहा है। प्रोफ़ेसर विशंभर नाथ मिश्र ने कहा कि नहर किसी कारण से बनाया गया किस आज तक किसी के समझ में नहीं आया और कुछ दिन बाद इस नहर का नामोनिशान ही मिट जाएगा लेकिन दुख इस बात का है कि जनता का करोड़ों रुपया गंगा में समाहित हो रहा है । इस पैसे से देश और समाज का विकास हो सकता था। ज्ञात हो कि रेत का क्षेत्र गंगा का डाइजेशन क्षेत्र रहा है उसका उपयोग आप बिना किसी ठोस अध्ययन के रेत में ही 5 किलोमीटर लंबा नहर बनाया गया है जिससे गंगा के फ्लोर डायनेमिक्स प्रभावित हो रहा है इससे वाराणसी का अर्थचंद्रकार स्वरूप भी प्रभावित होगा। साथ ही डाउनस्ट्रीम में कटान भी बढ़ेगा और इन क्षेत्रों में घाटों पर खतरे के संकेत भी मिलने लगे हैं।