करपात्र प्राकट्योत्सव के दूसरा दिन ऑनलाइन वेबिनार का किया गया आयोजन
करपात्र प्राकट्योत्सव के दूसरा दिन ऑनलाइन वेबिनार का किया गया आयोजन
स्वामी करपात्री के विचार युगों युगों तक रहेंगे प्रासंगिक- जगद्गुरु विद्याभाष्कर
वाराणसी, 8 अगस्त। स्वामी करपात्री जी महाराज का सम्पूर्ण जीवन सनातन धर्म के विचारों के प्रति दृढ़ संकल्पित रहा, दैहिक जीवन के अन्तिम क्षण तक सदाचार के आदर्श मूल्यों का पालन करते रहे। वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे यदि समाज उनके विचारों का अनुपालन करे तो कोरोना जैसी महामारी से सदैव बचा जा सकता है। उक्त बातें अयोध्या से जुड़े मुख्य वक्ता जगद्गुरु रामानुजाचार्य वासुदेवचार्य स्वामी विद्याभाष्कर जी महाराज ने धर्मसंघ शिक्षा मंडल के तत्वावधान में चल रहे 114 वें प्राकट्योत्सव के दूसरे दिन रविवार को ‘कोरोना काल मे स्वामी करपात्री जी महाराज के विचारों की प्रासंगिकता’ विषय पर आयोजित वेबिनार में व्यक्त किये। स्वामी विद्याभाष्कर जी ने कहा कि धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज ने सनातन धर्म की परम्परा को युगों युगों तक अक्षुण्ण बनाये रखने के उद्देश्य से ही धर्मसंघ की स्थापना काशी में की थी जो आज भी उसी उद्देश्य के निमित्त अनवरत लगा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी करपात्री जी महाराज ने हमेशा धर्म सापेक्ष और अधर्म निरपेक्ष राजनीति की वकालत की थी जिसकी देश को हर समय आवश्यकता रहती है।
विशिष्ट वक्ता स्वामी रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट के कुलपति प्रोफेसर योगेश चंद्र दुबे ने कहा कि स्वामी करपात्री जी का जीवन सिर्फ उपदेशात्मक सीमा तक सीमित नही रहा, स्वामी जी ने जिन विचारों को समाज के हित मे बतलाया है उसका अनुसरण भी स्वयं कर के दिखलाया। उन्होंने कहा कि आज जिस रामराज्य की आवश्यकता है वह स्वामी करपात्री जी के विचारों के अनुसरण से ही संभव हो सकती है।
प्रोफेसर कमलेश झा ने कहा कि स्वामी करपात्री जी महाराज वेद वेदांत के साक्षात विग्रह थे, दर्शन के साथ साथ श्रीमद्भागवत के मर्मज्ञ भी थे। प्रोफेसर सुधाकर मिश्र ने कहा कि स्वामी करपात्री जी वेदानुमोदित आचरण के प्रति आजीवन प्रतिबद्ध रहे। वे एक क्रांतिकारी विचारक के रूप में सदैव स्मरण किये जायेंगे। वेबिनार में धर्मसंघ के महामंत्री पण्डित जगजीतन पाण्डेय ने कहा कि स्वामी करपात्री जी ने सामान्य जनजीवन में जिन अनुशासन और धर्माचरण की बात वर्षो पहले कही, कोरोना काल मे उन्ही अनुशासन से मानव जीवन की रक्षा संभव हो सका।उन्होंने यह भी कहा कि धर्मसंघ आज भी स्वामी करपात्री जी द्वारा स्थापित सनातन मानबिन्दुओं को उसी निष्ठा से पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्ध रहता है। इससे पूर्व वेबिनार का शुभारंभ धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी के पावन सानिध्य में हुआ। संचालन संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के व्याकरण विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ब्रजभूषण ओझा ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रो. रामपूजन पाण्डेय, डॉ. धनंजय पाण्डेय, डॉ. शशिकांत तिवारी, शशिकांत मिश्रा, राजमंगल पाण्डेय आदि ने भी विचार व्यक्त किया।