नौटंकी शैली में 12 दिवसीय नाट्य कार्यशाला का हुआ उद्घाटन
नौटंकी शैली में 12 दिवसीय नाट्य कार्यशाला का हुआ उद्घाटन
विलुप्त होती नौटंकी जो हमारी लोक कला है इसे संरक्षित करने की आवश्यकता : प्रेमचंद विश्वकर्मा
वाराणसी। सामने घाट स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में इंटर नेशनल परफोरमिंग आर्ट्स फेस्टीवल एवं संस्कार भारती काशी प्रांत द्वारा 12 दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन हुआ। कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया गया। अनिल तिवारी ने सरस्वती वंदना गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। तत्पश्चात कथक नृत्य से गणेश वंदना संदीप मौर्य ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. प्रेमचंद विश्वकर्मा ने कहा कि विलुप्त होती नौटंकी जो हमारी लोक कला है इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है। वैसे तो हास्य विनोद में उन्होंने कहा कि प्रतिदिन हम सब कहीं न कहीं नौटंकी करते ही रहते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. सुनील कुमार मिश्रा ने कहा हमारी लोक कलाओं को जीवंत रखने के लिए हमें दिल से प्रयास करते रहना होगा। हमारी अगली पीढ़ी इन विस्मृत होती लोक कलाओं को जाने इसके लिए यह कार्यशाला बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगी।
विशिष्ट अतिथि एलआईसी के विक्रय प्रबंधक आरके सिंह, डॉ आनंद पाल राय, एनएसडी वाराणसी के अध्यक्ष श्रीराम वाली , अखिल भारतीय संस्कार भारती के नाट्य प्रमुख प्रमोद पवार, डॉ अष्ट भुजा मिश्रा, सुधीर पांडेय आदि ने उपस्थित विशिष्ट जनों को उद्बोधन दिया। इपैफ की प्रमुख खुशी चौहान ने सभी अतिथियों का उत्तरीय एवं रुद्राक्ष की माला से स्वागत सत्कार किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रेम पांडे, बृजेश जायसवाल, रोहित तिवारी, पूनम साहनी, संगीता यादव, बृजमोहन यादव, प्रधानाचार्या ज्योति भट्टाचार्य, उत्कर्ष सहर्षबुद्धे, वेदप्रकाश, ऋषि मिश्रा काशी विभाग संयोजक सूधीर कुमार पांडेय उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर प्रेरणा चतुर्वेदी एवं सुनील किशोर द्विवेदी ने संयुक्त रूप से किया। सुनील किशोर द्विवेदी ने आए हुए अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के अंत में वन्देमातरम का सामूहिक गायन हुआ।