प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश से विलुप्त हुए चीतों की 70 वर्षों बाद कराई वापसी,
नामीबिया से मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 8 चीतों को छोड़ा,
प्रधानमंत्री ने अपने जन्मदिन के अवसर पर कूनो नेशनल पार्क मे तीन चीतों को छोड़ने के बाद अपने संबोधन में बोला अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है, हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना है,कुल आठ चीते लाए गए हैं,
कुनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेंगे, तो यहाँ का ग्रासलैंड इकोसिस्टम फिर से बहाल होगा,जैव विविधता और बढ़ेगी। आने वाले दिनों में यहां पर्यावरण पर्यटन भी बढ़ेगा। यहां विकास की नई संभावनाएं जन्म लेंगी,
इन चीतों को देखने के लिए लोगों को धैर्य दिखाना होगा और कुछ महीनों तक इंतजार करना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं। कुनो राष्ट्रीय उद्यान को अपना घर बनाने में सक्षम होने के लिए हमें इन चीतों को कुछ महीने का समय देना होगा, ये दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ। आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है,मैं हमारे मित्र देश नामीबिया और वहाँ की सरकार का भी धन्यवाद करता हूँ जिनके सहयोग से दशकों बाद चीते भारत की धरती पर वापस लौटे हैं। मुझे विश्वास है कि ये चीतें ना केवल प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का बोध कराएंगे बल्कि हमारे मानवीय मूल्यों और परंपराओं से भी अवगत कराएंगे,
मानवता के सामने ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं जब समय का चक्र हमें अतीत को सुधारकर नए भविष्य के निर्माण का मौका देता है। आज सौभाग्य से हमारे सामने एक ऐसा ही क्षण है,
दशकों पहले जैव-विविधता की सदियों पुरानी जो कड़ी टूट गई थी, विलुप्त हो गई थी, आज हमें उसे फिर से जोड़ने का मौका मिला है। आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं। मैं ये भी कहूँगा कि इन चीतों के साथ ही भारत की प्रकृतिप्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जागृत हो उठी है,
आज 21वीं सदी का भारत, पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है कि अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकीय कोई विरोधाभाषी क्षेत्र नहीं है। पर्यावरण की रक्षा के साथ ही देश की प्रगति भी हो सकती है, ये भारत ने दुनिया को करके दिखाया है,प्रधानमंत्री के साथ इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य रूप से रहे उपस्थित,