यज्ञ शुभारंभ हेतु अत्यंत श्रेष्ठ है अरणी मंथन से उत्पन्न अग्नि : महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर जी महाराज
वाराणसी। संकुल धारा पोखरा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर में महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रखर जी महाराज के सानिध्य में आयोजित 51 दिवसीय विराट श्री लक्षचण्डी महायज्ञ की श्रृंखला में तीसरे दिन गणपति पूजन एवं दुर्गासप्तशती पाठ का आयोजन किया गया जिसमें 500 विद्वान ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चार के साथ भाग लिया। गुरूवार को बाबा विश्वनाथ की पावन नगरी काशी में संकुलधारा पोखरा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर के प्रांगण में चल रहे विराट श्री लक्षचण्डी महायज्ञ के तहत प्रातः कालीन बेला में मुख्य आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित के आचार्यत्व में आचार्य सुनील दीक्षित,अरुण दीक्षित सिहित 21 आचार्यों की देखरेख में मुख्य यजमान श्री तिलकराज शर्मा एवं सपत्नी आरती शर्मा के सहित अन्य यजमानों द्वारा गणपति पूजन हुआ। यज्ञ में सम्मिलित होने वाले 500 ब्राह्मणों द्वारा दुर्गा सप्तशती पाठ किया गया पोखरा में स्थित ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोच्चार से दुर्गाशप्तशती का पाठ मन मोहक स्थिति को दर्शा रहा था इसके साथ यज्ञशाला में स्थापित देवताओं एवं सर्वतोभद्र, पंचांगपीठ आदि चौकियों यजमानों द्वारा पूजन-अर्चन किया गया। वैदिक विधि विधान एवं परम्परागत रूप से अरण्य मंथन के द्वारा यज्ञ के लिए अग्नि की स्थापना की गई।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रखर जी महाराज ने अरण्य मंथन की जानकारी देते हुए बताया कि यज्ञ का शुभारंभ करने के लिए अरणी मंथन से उत्पन्न अग्नि ही सर्वश्रेष्ठ है। यज्ञ में आहुति के लिए अग्नि की आवश्यता होती है। अग्नि व्यापक है लेकिन यज्ञ के निमित्त उसे प्रकट करने के लिए भारत मे वैदिक परंपरा के अनुसार अरणी मंथन किया जाता है। इसके उपरांत महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रखर जी महाराज के सानिध्य में उनके शिष्य स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने यज्ञशाला की परिक्रमा की स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महराज ने बताया कि लक्षचण्डी यज्ञ के दौरान उत्पन्न ऊर्जा एक व्यापक एवं अत्यंत प्रभावशाली होगी। कोरोना महामारी के चलते यज्ञशाला में केवल यजमान ही उपस्थित रहेंगे परन्तु आमजन को सम्पूर्ण यज्ञ का फल लेने के लिए अपनी सामर्थ्य अनुसार परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए जिससे न केवल मनोवान्छित फल की प्रप्ति होगी साथ ही माँ दुर्गा की अहैतुकी कृपा के भगीदार भी बनेंगे। यज्ञ प्रारंभ के साथ साथ देर शाम को गंगा की महाआरती का आयोजन किया गया जिसमें आचार्य गौरव शास्त्री,आत्मबोध प्रकाश,मां चिदानंदमयी के साथ महायज्ञ समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार खेमकाए सचिव संजय अग्रवालए सह.सचिव राजेश अग्रवालए कोषाध्यक्ष सुनील नेमानी, आत्मबोध प्रकाश, आचार्य गौरव शास्त्री समेत बडी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।