चंद्रशेखर आजाद की अस्थि कलश लखनऊ राज्य संग्रहालय मे तालों मे बंद,अधिवक्ता नित्यानंद राय
चंद्रशेखर आजाद की अस्थि कलश लखनऊ राज्य संग्रहालय मे तालों मे बंद, अधिवक्ता नित्यानंद राय
डबल लाक मे लाक है चन्द्रशेखर आजाद की अस्थि कलश, लखनऊ चिङिया घर स्थित राज्य संग्रहालय मे डबल लाक मे लाक है चंद्रशेखर आजाद का अस्थिकलश सन 76 तक चंद्रशेखर आजाद के फूफा अस्थियो को सहेजे रहे पंडित शिव विनायक मिश्र, आजाद के शरीर को लावारिश जलाने जा रही पुलिस से फूफा ने जा कर लिया था, सन 76 तक आजाद के अस्थिकलश को अपने घर मे रखे रहे शिव विनायक मिश्र मरने के बाद पुत्रो ने किया था शासन के हवाले जिस चन्द्रशेखर आजाद के नाम से ब्रिटेनिया पुलिस की पैंट गीली हो जाती थी,जिस आजाद ने कसम खायी थी कि जीते जी उनके शरीर को ब्रिटेनिया पुलिस छु नही सकती और उन्होने अपने इस कसम की मरते दम तक रक्षा की, आज आजादी के पचहत्तर साल बाद भी चन्द्रशेखर आजाद
डबल लाक मे कैद है, दर असल आजाद की शहादत के बाद किसी भी व्यक्ति मे हिम्मत नही हुयी कि वो अंग्रेजो से अंतिम संस्कार के लिये मृत शरीर मांग सके, कमला नेहरू ने बनारस पुरषत्तोम दास टंडन को सुचित किया टंडन जी आजाद के सगे फुफा शिवविनायक मिश्र को सुचित किया, मिश्रा जी साधन कर भागे भागे इलाहाबाद पहुचे और जिलाधिकारी और एसएसपी से यह कह कर कि मै आजाद का फुफा हूं और आजाद के शरीर का दाह संस्कार संगम के तट पर किया, आजाद का पवित्र अस्थिया वो अपने मृत्यु तक अपने घर पर ही रखे रहे उनके मरने के बाद आजाद के फुफेरे भाईयो राजीव लोचन मिश्र, फुलचन्द मिश्र व श्याम सुन्दर मिश्र ने 10जुलाई 1976को अस्थिकलश राज्य सरकार के प्रतिनिधि सरदार कुलतार सिंह को समर्पित कर दी, आजाद पर स्वतंत्र तौर पर शोध कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता और समाजसेवी नित्यानन्द राय बताते है कि लखनऊ के म्युजियम मे आजाद का अस्थिकलश आज भी रखा है साथ मे उनका हस्त लिखित पत्र भी वहा रखा गया था जो उस वक्त सन 76 मे मंत्री सरदार कुलतार सिंह जी को सौपी गयी थी, वरिष्ठ अधिवक्ता और समाजसेवी नित्यानन्द राय ने बताया कि कल 19 अगस्त को वे आजाद के अस्थिकलश के दर्शन करने के उद्देश्य से लखन ऊ स्थित राज्य संग्रहालय स्टेट म्युजियम जो लखन ऊ के चिङियाघर मे स्थित है पहुचे और स्टेट म्युजियम के डायरेक्टर आनन्द कुमार सिंह से आजाद के अस्थिकलश का दर्शन कराने की प्रार्थना की, डायरेक्टर महोदय ने दर्शन कराने से इंकार कर दिया, चंद्रशेखर आजाद पर स्वंतत्र रूप से शोध कर रहे अधिवक्ता नित्यानन्द राय को बताया कि आजाद का अस्थिकलश डबल लाक मे रखा हुआ है यदि आप दर्शन करने के इतने ही इच्छुक है तो आपको नियम के अनुसार प्रार्थना पत्र देना होगा आदेश होने के बाद एक टीम गठित होगी जिसकी मौजुदगी मे ही दर्शन कराया जा सकता है, तीन लोग उस लाक को खोलेगे और चार लोग दर्शन के वक्त मौजुद रहेगे, अधिवक्ता को बहुत ही निराशा हुयी मगर उन्होने दर्शन के लिये प्रार्थना पत्र दे दिया आदेश होने के बाद अधिवक्ता व समाजसेवी को दर्शन का मौका मिलेगा, अधिवक्ता और समाजसेवी ने मांग किया है कि आजाद के अस्थिकलश को बनारस वापस मंगवा कर बनारस मे ही उनके याद मे एक भब्य स्मारक बनाते हुये उस अस्थिकलश को वहा दर्शनार्थ रखा जाय हिंदु मतावलम्बी या तो अस्थिकलश को गंगा या पवित्र नदियो मे प्रवाहित कर देते.है या उसकी चौबिस घंटे पुजा होती है स्पष्ट है आजाद के अस्थिकलश के साथ आजादी के पचहत्तरवे साल भी न्याय नही किया जा रहा बता दे आजाद के पिता ने आजाद को अपने फुआ के यहा बनारस मे पढने के लिये भेजा था, उस वक्त आजाद के फुफा जी शिव विनायक मिश्र काशी मे पियरी पर रहते थे ,अध्यापन के शुरुआती दिनो मे वे अपने फुफा के यहा ही रहते थे ,कालान्तर मे फरारी के दौरान उनका कोई निश्चित ठिकाना नही था मगर वे अपने फुफा के सम्पर्क मे रहते थे, काशी से लखनऊ पहुचे अधिवक्ता नित्यानन्द राय को नही मिली दर्शन की अनुमति निदेशक ने नियमो का हवाला देकर दर्शन कराने से किया इंकार,