अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इस बार का बजट विशेष होगा,सीए जमुना शुक्ला,सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति,
इस बार के बजट के लिए सरकार की तरफ से ही ऐलान हो चुका है कि यह बहुत विशेष होगा। इसलिए समाज का हर तबका गहरी आस लगाये बैठा है। भारत की अर्थव्यवस्था डिमोनेटाइजेशन के बाद रफ्तार पकङ ही रही थी कि कोविड महामारी से सारे योजनाओं को भारी क्षति हुई। पर अब कोविड वैक्सीन आने के बाद स्थितियां धीरे धीरे सामान्य हो रही और अर्थव्यवस्था पटरी पर आ तो गयी है पर इसको गति एक सकारात्मक बजट ही दे पायेगा। खास कुछ विसंगतियां जो टैक्स दर को ले करके है उन्हें तर्कसंगत बनाने की जरूरत है जैसे सेक्सन 115बीबीइ में 78 प्रतिशत तक टैक्स आ जाता है। 1 अक्तूबर 2019 के बाद स्थापित होने बाली नयी मेन्यूफेक्चरिंग कंपनियों को पंद्रह प्रतिशत तक ही टैक्स देना है पर उसमें लागू सख्त नियमों को थोङा और लचीला बनाने की जरूरत है।समय सीमा वर्ष के शुरू से हो जाय तथा उसे अपनाने के लिए कम से कम तीन वर्षों का अवसर देना चाहिए जो कि वर्तमान में प्रथम वर्ष ही है।कम व मध्यम आय बाले सीनियर सिटीजन के मासिक न्यूनतम आय के लिए ज्यादा रिटर्न बाले कुछ सरकारी निवेश जरूरी है जिससे वृध्दावस्था में आर्थिक सुरक्षा सभी को मुहैया हो सके। बहुप्रतिक्षित पार्टनरशिप फर्मस के टैक्स दर को भी कम करने के लिए लगातार मांग हो रहीं है जो कि कंपनियों के मुकाबले अभी भी बहुत ज्यादा है और छोटे व्यवसायी ज्यादातर पार्टनरशिप के जरिये ही अपना कामकाज करते हैं और अर्थव्यवस्था की एक मजबूत ईकाई हैं ।अतः उनपर भी ध्यान देना आवश्यक है। आटोमोबाइल क्षेत्र में दामों में भारी वृद्धि हुई है जबकि वाहन जन सामान्य की आवश्यकता है अतः छोटी दोपहिया व चार पहिया गाङियों के किमत वृद्धि पर लगाम जरूरी है, उनपर लगने बाले अप्रत्यक्ष करों में कुछ छूट होना चाहिए।
सीए जमुना शुक्ला
सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति
आल इंडिया फैडरेशन ओफ टैक्स प्रैक्टिसनर्स