कृषि कानून बिल हुआ वापस,जनता की परेशानियों को नजरअंदाज कर कुछ किसानो का धरना अब भी जारी,
कृषि कानून बिल हुआ वापस, जनता की परेशानियों को नजरअंदाज कर किसानो का धरना जारी,
अन्नदाता के नाम पर जारी है राजनीति की घमासान,सरकार द्वारा कृषि कानून बिल वापस की घोषणा होते ही बॉर्डर पर जमे किसानों ने मिठाई बांटकर खुशी जाहिर की,
जनता को परेशान कर के ही क्या कोई विरोध प्रकट किया जा सकता है ?
कृषि कानून बिल वापस होने के बाद भी कुछ किसान नेता धरना स्थल से नहीं हटे,
जनता की परेशानियां क्यों नहीं दिखती इन राजनीतिक दलों को,कृषि कानून बिल वापस होने के बावजूद किसानों के कुछ नेता दिल्ली के मुख्य बॉर्डर पर अभी भी बैठे हुए हैं उनको जनता की परेशानी क्यों नहीं दिखती ?
राजनीति की वजह से आम जनता क्यों परेशान हो यह देश के सामान्य लोग जानना चाहते हैंकिसी भी राजनीतिक पार्टी को अपनी मांगों को रखने के लिए जनता की परेशानियों को देखते हुए कोई भी धरना प्रदर्शन क्या नही करना चाहिए,
गाजीपुर बॉर्डर हो या सिंधु बॉर्डर या अन्य बॉर्डर हो लोग पिछले एक वर्ष से घंटो जाम में फस कर अपने गंतव्य पर पहुच रहे हैं,
सबसे ज्यादा परेशानी उन लाखों लोगों को है जो प्रतिदिन धरना स्थल वाले रास्ते से अपने जीवन यापन के लिए नौकरी करने दिल्ली रोज जाते और आते हैं सरकार ने भी निर्णय लेने में थोड़ा विलंब किया,
किसानों के बैठे हुए रास्ते छोड़ लोगो को किसी अन्य रास्तों से जाना पड़ रहा है जो कि पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय गुजर गया और लोगो को रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है,
चाहे उसमे एम्बुलेंस ही किसी बीमार को ले कर जाना शामिल हो, कितनों ने अस्पताल पहुंचने के पहले ही जिंदगी की उम्मीद छोड़ दी हो,किसी भी राजनीतिक दलों को अपना विरोध किसी भी मुद्दे पर प्रकट करने के लिए क्या और भी दूसरे तरीके नही अपनाने चाहिए ?