बीएचयू केएन उडप्पा सभागार में रविदास जयंती पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का किया गया आयोजन
भारत की वर्तमान समस्याओं के निवारण में संत रविदास के क्रांतिकारी चिंतन की भूमिका पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का किया गया आयोजन
वाराणसी शुक्रवार 26 फरवरी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में गुरु रविदास जयन्ती पर आयोजित हो रहे दो दिवसीय “राष्ट्रीय संगोष्ठी” के पहले दिन के कार्यक्रम का आयोजन आईएमएस (बीएचयू) के “केएन उड़प्पा सभागार” में किया गया। संगोष्ठी का विषय” भारत की वर्तमान समस्याओं के निवारण में संत रविदास के क्रांतिकारी चिंतन की भूमिका” रही। प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के बीएचयू बहुजन इकाई द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह संत शिरोमणि गुरु रविदास जी का 644 वां जन्मदिन मनाया जा रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बीएसपी पार्टी के वर्तमान राज्यसभा सदस्य डॉ अशोक सिद्धार्थ रहे जिन्होंने संत रविदास जी के जीवन से जुड़े तमाम पहलुओं पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि समाज मे गैर बराबरी को गुरु रैदास के चिंतन बेगमपुरा को समाज मे स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने युवाओं को जिन्हें समाज मे परिवर्तन का आधार माना जाता है। बहुजन आंदोलन को आगे बढ़ाने,सामाजिक कुरीतियों को दूर करने,संगठित होने के लिए कर्तव्य शक्ति में ऊर्जा भरने का काम किया। साथ ही साथ वो दलित समाज को मिला आरक्षण की जिसको बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर के प्रयास से मिला। बहुजन महापुरुषों के चिंतन को जमीनी स्तर पर उतारने की जरूरत है।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि रास सांसद डॉ अशोक सिद्धार्थ ने वर्तमान भारत मे बेरोजगारी, गरीबी और आरक्षण के मुद्दे पर संत रविदास के विचारों का प्रभाव का उल्लेख किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में शैलेन्द्र प्रताप जो एसडीएम के रूप में कार्यरत है उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आरक्षित वर्ग से के लोगों के बारे में समाज मे यह राय है कि इन समुदाय के लोग अपने पद के साथ न्याय नहीं कर पाता। इस गलत धारणा को उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के हुए शोध का हवाला दिया कि आरक्षित वर्ग से आये व्यक्ति ज्यादा और कार्यशील वफादार होते हैं।
मुख्य वक्ता डॉ अनिता भारती जो कि दलित लेखक संघ की अध्यक्ष है उन्होंने कहा कि रैदास का जो चिंतन है वह सच मे समाज के नायक है। मध्यकाल में सामाजिक क्रांतिकारी चिंतन से समाज को उद्वेलित किये। बीएचयू बहुजन इकाई के संरक्षक भूतपूर्व प्रोफेसर कृषि वैज्ञानिक लालचन्द प्रसाद ने गुरु रैदास के चिंतन पर अपनी बात रखते हुए युवाओं से कहा कि गुरु रैदास की ही तरफ आपको भी क्रांतिकारी विचारवान बनना होगा तभी समाज मे वैचारिक क्रांति आएगी। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर महेश प्रसाद अहिरवार ने संगोष्ठी में आये हुए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम के मंच का संचालन विवेक कुमार, रेखा विजेता और रविन्द्र भारती द्वार किया गया।