विश्वविख्यात अघोरपीठ में ‘गुरु पूर्ण माँ’ की आस्था के साथ संपन्न हुआ गुरुपूर्णिमा पर्व
गुरुपूर्णिमा का पर्व यूँ तो पूरे हिन्दुस्तान में असीम विश्वास और आस्था के साथ मनाया जाता है, लेकिन शिव की नगरी काशी में इसका उत्साह देखते ही बनता है । काशी का कोना-कोना गुरु-शिष्य की साझी विरासत का साक्षी बनता है । लेकिन काशी में स्थित विश्वविख्यात अघोरपीठ, ‘बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड’, की छटा ही अलग होती है ।
शिव स्वरुप बाबा कीनाराम जी सहित अनेकों औघड़/अघोरियों की समाधियों का सजा धजा रुप और विश्वप्रसिद्द औघड़ तख़्त पर विराजमान, शिव स्वरुप, इस पीठ के वर्तमान पीठाधीश्वर अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी महाराज और इन सबके दर्शनार्थ लगी आस्था से सराबोर भक्तों की लम्बी लाइन । सुबह साढ़े नौ बजे जैसे ही तथा पूरी दुनिया में अघोर परंपरा के सर्वमान्य आचार्य, आराध्य, अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी अपने कक्ष से बाहर आए, श्रद्धालुओं के बीच झलक पाने की होड़ लग गयी। लेकिन आश्चर्य की बात ये कि गुरु को सर्वोपरि मानने वाली हज़ारों की संख्या में कतारबद्ध इस आस्थावान भीड़ ने अनुशासन का क्षण मात्र के लिए भी उल्लंघन नहीं किया । इस बीच पूरा अघोरपीठ ‘हर हर महादेव’ के गगनभेदी उदघोष से गुंजायमान रहा । उधर अघोराचार्य महाराज, सिद्धार्थ गौतम राम जी, औपचारिक जैसे ही अपने औघड़ तख़्त पर आसीन हुए, श्रद्धालुओं के चेहरे की रौनक देखने लायक थी । सुबह 6 बजे से लाइन में लगी भक्तों की भीड़ ने एक-एक कर गुरु-दर्शन किया और प्रसाद ग्रहण कर ‘गुरु पूर्ण माँ’ की आस्था के साथ ख़ुद को संतुष्ट पाया । उधर गुरुपूर्णिमा पर्व पर हमेशा की तरह, अघोरपीठ में, भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने भी एक हफ़्ते पहले से ही क़मर कस लिया था । प्रशासन के वरिष्ठ क्षेत्रीय अधिकारी, आश्रम प्रबंधन के साथ समन्वय बनाए हुए थे और सुरक्षा व्यापक और पुख़्ता इंतज़ाम किये गये थे। भारी भीड़ के मद्देनज़र आश्रम परिसर के बाहर मेले जैसा माहौल था । लोग दर्शन पूजन के बाद बाहर सैकड़ों लोग ख़रीददारी करते दिखे।