प्रो. जयशंकर लाल को मिला करपात्र रत्न, राजाराम शास्त्री एवं रमन त्रिपाठी को करपात्र गौरव
स्वामी करपात्री के रामराज्य की अवधारणा पर आगे बढ़ चुका है भारत – प्रो. हरेराम त्रिपाठी
प्रो. जयशंकर लाल को मिला करपात्र रत्न, राजाराम शास्त्री एवं रमन त्रिपाठी को करपात्र गौरव
वाराणसी, 10 अगस्त। धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज सनातन धर्म के वह महान ध्वजवाहक थे जिनके रामराज्य की अवधारणा वाले आचरण पर भारत देश आगे बढ़ चुका है। सनातन धर्म को आत्मसात करते हुए वसुधैव कुटुंबकम की भावना का पोषण स्वामी करपात्री जी महाराज जैसे अलौकिक शक्ति के द्वारा ही संभव है। उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने मंगलवार को दुर्गाकुण्ड स्थित धर्मसंघ शिक्षा मण्डल के प्रांगण में चल रहे 114 वें करपात्र प्राकट्योत्सव के अवसर पर आयोजित करपात्र रत्न समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि आज भारतीय संस्कृति की दुनियाभर में पूछ बढ़ रही है तो उसके सन्दर्भ में धर्मसम्राट जी जैसे महान तपस्वी की साधना ही निहित है। सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के प्रति उनके दृढ़संकल्प को भारतभूमि के विद्वान और मनीषी अवश्य पूर्ण करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी जी सर्वशास्त्रों के ज्ञाता थे जिससे यह उन्हें साक्षात शिव का अवतार माना जा सकता है। उनके द्वारा समाज को दी गयी प्रेरणा सदैव अविस्मरणीय रहेगी। विशिष्ट अतिथि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनन्द त्यागी ने कहा कि विश्व में कई धर्म प्रचलन में है परन्तु सिर्फ एक सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो विश्व कल्याण की कामना करता है, विश्व बंधुत्व की यही भावना हमें औरों से अलग बनाती है। धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज का सम्पूर्ण जीवन ही सनातन धर्म के इस परम्परा को आगे बढ़ानें में लगा रहा। जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांगजन विश्वविद्यालय, चित्रकूट के कुलपति प्रो. योगेश चन्द्र दूबे ने कहा कि धर्म, धारणा, धरा और समाज के प्रति स्वामी करपात्री का चिन्तन अद्भुत है, जिसमें हर किसी के लिए उचित स्थान की व्यवस्था की बात स्वामी जी द्वारा की गयी है। करपात्र रत्न से सम्मानित प्रो. जयशंकर लाल त्रिपाठी ने कहा कि स्वामी करपात्री जी केवल सन्यासी मात्र ही नही थे अपितु उनका चिन्तन समाज के लिए भी था, उन्होंने समाज की प्रगति, कल्याण और परस्पर सद्भाव के लिए सनातन धर्म को ही आधार बनाया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रम्हचारी ने कहा कि सनातन धर्म समस्त धर्माे का राजमार्ग है और स्वामी करपात्री जी महाराज उस सनातन धर्म के सबसे सशक्त हस्ताक्षर रहे। देश के जिस भी कोने में शास्त्र अथवा सनातन धर्म के उन्नयन में उनकी आवश्यकता रही हो, धर्मसम्राट सदैव वहॉ उपस्थित रहे। उन्होंने यह भी कहा कि धर्मसम्राट द्वारा बतलाए मार्ग एवं सिद्धान्तों के अनुसरण से ही मानव जीवन का कल्याण संभव हो सकता है। समारोह में संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान प्रो. जयशंकर लाल त्रिपाठी को अतिविशिष्ट करपात्र रत्न सम्मान प्रदान किया गया। धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रम्हचारी, प्रो. हरेराम त्रिपाठी, प्रो. आनन्द त्यागी एवं पण्डित जगजीतन पाण्डेय ने प्रो. जयशंकर लाल त्रिपाठी को मार्ल्यापण, दुशाला, प्रशस्ति पत्र एवं एक लाख रूपये का ड्राफ्ट प्रदान कर सम्मानित किया। वहीं पण्डित राजाराम शास्त्री एवं रमन त्रिपाठी को करपात्र गौरव सम्मान से विभूषित किया गया। इस अवसर पर भारतीय हाकी टीम के सदस्य ललित उपाध्याय के पिता सतीश उपाध्याय का भी अभिनन्दन किया गया। इससे पूर्व समारोह का शुभारंभ चारों वेदों के स्वस्तीवाचन एवं पौराणिक मंगलाचरण के साथ हुआ। तत्पश्चात अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं धर्मसम्राट के चित्र पर मार्ल्यापण के साथ समारोह की शुरूआत हुई। संचालन एवं अतिथियों का समादर पं. जगजीतन पाण्डेय ने किया। स्वागत डॉ. उदयन मिश्र तथा धन्यवाद प्रो. उपेन्द्र पाण्डेय ने दिया। इस अवसर पर गुुजरात भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री रत्नाकर, प्रो. रामचन्द्र पाण्डेय, प्रो. सुधाकर मिश्रा, रमेश चन्द्र पण्डा, वैद्य शशिकान्त दीक्षित, डॉ. दुर्गेश पाठक, राजमंगल पाण्डेय सहित कई प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।