किसान संवाद पंचक्रोशी यात्रा के दूसरे दिन ग्रामीण परिक्षेत्र में भीमचण्डी से रामेश्वर तक निकाला गया यात्रा
किसान संवाद पंचक्रोशी यात्रा के दूसरे दिन ग्रामीण परिक्षेत्र में भीमचण्डी से रामेश्वर तक निकाला गया यात्रा
वाराणसी, शनिवार 27 फरवरी। संत कवी रैदास के जन्म दिवस पर रैदास की “चाहूँ ऐसा राज मैं जहाँ मिले सबन को अन्न” पंक्तियाँ सुनाते ‘किसान संवाद पंचक्रोशी यात्रा’ अपने दूसरे दिन बनारस ग्रामीण परिक्षेत्र में भीमचण्डी से रामेश्वर तक के चट्टी चौराहो के बीच गुजरते हुए किसानों के संघर्ष के समर्थन में जनसंवाद करती रही। संवाद यात्रा की शुरुवात नागेपुर में लोकसमिति आश्रम पर रैदास जयंती कार्यक्रम में पंहुचकर ग्रामीणों से सम्पर्क किया गया और जनसभा के साथ हुई। सभा मे कहा गया कि एक देश एक बाज़ार के सपने के साथ लाये गए तीन कृषि कानूनों के बारे में आज देश को समझने और चर्चा करने की जरूरत है। देश की संसद में भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार कोई कानून विपक्ष, जनसंगठन, बुद्धिजीवियों की सलाह को उपेक्षित करके बनाया गया है। तीन कानूनों में पहले कानून ‘कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) कानून की बात करें तो खेती किसानी को बाज़ार के रहमों करम पर छोड़ देने की बात बीजेपी करना चाह रही है। लेकिन अमेरिका और यूरोप जैसे जगहों पर जहाँ इस तरह के कानून पहले से लागू हैं वहां भी किसानों को किसी तरह का फायदा नहीं हुआ है। अमेरिका में तो मुक्त बाज़ार के इस तरह के कानून पिछले सात दशकों से लागू हैं लेकिन वहां के किसान की दशा क्या है ? ये वहां के एक किसान से ही समझिए, किसान का कहना है अभी उसे अपनी फ़सल का जो दाम मिल रहा है वो 1972 में उसके पिता को मिल रहे दाम से भी कम है । ये हाल है अमेरिका जैसे बड़े देश का जहाँ लम्बे समय से ये कानून लागू हैं। अब अगर अपने देश की भी बात करें तो बिहार में बड़ी प्राइवेट मंडियों की भरमार होगी के दावों के साथ 2006 में APMC मार्केट ख़त्म किये गए थें लेकिन आज 14 साल बाद भी वहां का किसान दूसरे राज्यों के बड़े शहरों में दिहाड़ी मजदूरी कर रहा है। हरसोस गांव में सभा के दौरान दूसरे कानून पर बात करते हुए संवाद यात्रियों ने कहा कि कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून के तहत किसान और कंपनियों के बिच डील होगी की खेत में क्या फसल उगाना है।इस डील में गरीब किसानों को क्या मिलेगा ये बहुत सोचने वाली चीज़ नहीं है। क्या सरकार इस बात की गारंटी लेगी की अगर कंपनी ने फसल खरीदने से इंकार कर दिया तो वह किसानों के मेहनत को उचित मूल्य देगी? तीसरा कानून है आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, यहाँ बड़ी कंपनियों को असीमित भण्डारण करने की अनुमति होगी। निजी कंपनियां किसानों से कम दाम पर पैदावार को खरीद कर उनका भंडारण कर दाम बढ़ाएंगी और कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा। अगर अमेरिका में वालमार्ट जैसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां किसानो को सही दाम दे रही हैं तो वहां का किसान कर्जे में डूबता कैसे जा रहा है। कानून से जुड़ी जानकारी और लोगो की रोजमर्रा की दिक्कतों के मुद्दे को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के पंचक्रोशी यात्री आज लोहिया कॉलेज में छात्रों के बीच भी संवाद किये।
भैरोनाथ हरपुर में ग्रामीण महिलाओं के बीच बढ़ती मंहगाई और थाली से गायब होते अनाज के पीछे किसानों की बदहाली को ही कारण के रूप में पाया गया। महिलाओं की स्पष्ट समझदारी है कि दिन ब दिन जो रसोई में सब्जी तेल अनाज और गैस मंहगा हो रहा है उस समस्या का भी हल हो जाए अगर किसानों की बात सरकार सुन ले तो। नागेपुर, मेंहदी गंज, विरभानपुर, हरसोस, हरपुर, जंसा, कचनार, राजातालाब, चौखण्डी, भाऊपुर और रामेश्वर में यात्रा के माध्यम से ग्रामीण जन के बीच किसानों के मुद्दे को रखा गया. आज किसान संवाद पंचक्रोशी यात्रा में मुख्य रुप से जागृति राही, सतीश सिंह, छेदी लाल निराला, नन्दलाल मास्टर, महेंद्र राठौड़, दीपक, धनन्जय, रवि शेखर, सच्चिदानंद ब्रह्मचारी, अहमद अंसारी, डब्ल्यू , सोनी, पंचमुखी, अमित कमलेश आदि प्रमुख रहे। प्रेरणा कला मंच के टीम के साथियो मुकेश झँझरवाला, अजित, शसांक द्विवेदी, विजय प्रकाश, अजय पॉल, गोविंदा, रंजीत, सन्दीप , प्रमोद ने नुक्कड़ नाटक और जनगीतों से सांस्कृतिक चेतना से जोड़कर खेती किसानी की बात जनता में रखी।