वैक्सीन लगवाने के बाद ना करें ऐसी गलती, बन सकते हैं अपनों के जान के दुश्मन,
वैक्सीन लगवाने के बाद ना करें ऐसी गलती अपनों की जान पर पड़ सकती है भारी,
कोरोना वैक्सीन लगने के बाद भी इंफेक्शन के बहुत से मामले आए सामने,
कोरोना का टीका लगवाने के बाद अगर आप खुद को बीमारी से सुरक्षित समझ रहे हैं और कोरोना प्रोटोकॉल को नजरअंदाज कर रहे हैं तो यह रिपोर्ट आपके लिए ही है,
वैक्सीनेशन के बाद आपकी एक गलती पूरे परिवार को मुसीबत में डाल सकती है अगर कोरोना के वैक्सीन लगवाने के बाद आप भी यह सोच रहे हैं कि आप कोरोना से सुरक्षित हो गए हैं और आपको सावधानी बरतने की अब जरूरत नहीं है तो यह आपकी गलत फहमी है, इसमें आप अपनी जान को जोखिम में डाल ही रहे हैं लेकिन उन लोगों को भी बीमार कर सकते हैं जो आप के बेहद करीब हैं और सम्पर्क मे आ रहे हैं, अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि पश्चिम बंगाल में कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवाने वाले ही इस महामारी के साइलेंट स्प्रेडर बन रहे हैं, रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने इस बात को लेकर चिंता भी जाहिर की है साइलेंट स्प्रेडर उन लोगों को कहा जाता है जो खुद को कोरोना का शिकार होते हैं,लेकिन उन्हें इसिम्प्टोमेटिक होने की वजह से इस बात का पता भी नहीं चलता है कि वह कितने लोगों की जान खतरे में डाल रहे हैं, बंगाल में इस तरह के तमाम केस सामने आए हैं जिसमें वैक्सीन लगवाने के कुछ दिन बाद लोगों में कोरोना वायरस के लक्छण नजर आया और टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी, वे खुद एंटीबॉडी की वजह से बच गए लेकिन डॉक्टर को ऐसे केसेज में चिंता उन लोगों की है जो इन मरीजों के संपर्क में आकर संक्रमित हुए और उन्हें पता भी नहीं चला, इजराइल की एक स्टडी में यह बात सामने आई थी कि वैक्सीन लगने के बाद भी लोग कोरोना संक्रमण की दूसरी तरह की स्ट्रेन की चपेट में आ रहे हैं इसके पीछे की वजह विशेषज्ञों ने वैक्सीनेशन के बाद जल्द ही मास्क और अन्य सावधानियों को छोड़ देना माना है, या फिर ऐसा भी हो सकता है कि वैक्सिनेट होने के कुछ घंटे पहले ही इस वायरस के चपेट में आए हो,जिन्हें वैक्सीन नही लगी उन लोगो का बीमार होने का प्रतिशत ज्यादा है,
रिपोर्ट यह भी कहती है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले ज्यादातर मरीज वो हुए हैं जिन्हें वैक्सीन का डोज अभी तक नहीं लगा है कई मामलों में डॉक्टर ने आशंका जाहिर की है कि मरीजों को परिवार के उन सदस्यों से संक्रमण हुआ है जिन्हें वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना हुआ लेकिन उनमें लक्षण नहीं दिखाई दिए
क्या कहते हैं विशेषज्ञविशेषज्ञ भी इस बात को मानते हैं कि पहली डोज 6 से 8 हफ्ते के बीच एंटीबॉडी का निर्माण शरीर मे होता है, इस अवधि में अगर किसी को कोई कोरोना का संक्रमण लगता है तो ज्यादातर लोगों को इसके लक्षण नहीं आते है, ऐसे में वे खुद तो जान नहीं पाते कि वह संक्रमित हैं और कोरोना कैरियर बन जाते हैं, स्कूल आफ ट्रॉपिकल मेडिसिन में क्लीनिकल ट्रायल स्पेशलिस्ट शांतनु त्रिपाठी बताते हैं कि वैक्सीन का मतलब यह नहीं कि संक्रमण नहीं होगा इसका मतलब है कि वह ( रोग रोधक) वायरस से से लड़ने की आपकी रोग क्षमता बढ़ती है ऐसे में वैक्सिंन लगवा कर सुरक्षित हो सकते हैं लेकिन दूसरे नहीं,
फिर भी सावधानियां बरतनी ही है,वैक्सीन सही समय पर लेना जरूरी है वैक्सीनेशन के 14 दिन बाद आपके शरीर में एंटीबॉडी सबसे ज्यादा होती है, लेकिन अगर दूसरी दो समय पर नहीं ली जाती है तो यह एंटीबॉडी एक वक्त के बाद कमजोर पड़ने लगते हैं ऐसे में लंबे समय तक सुरक्षित रहने के लिए वैक्सेशन की दूसरी डोज लेना भी जरूरी है, दोनों डोज लगवाने के बाद ही कोरोना कोविड नियम का पालन करते हुए ही आप दूसरे स्ट्रेन से सुरक्षित हो सकते हैं, हालांकि इसके बाद भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करके ही आप अपने साथ-साथ दूसरों को सुरक्षित रख सकते हैं, इसमें मास्क लगाना सोशल डिस्टेंसिंग, सेनीटाइजर का प्रयोग करते रहना बेहद जरूरी है,