या कुन्देन्दु तुसार हाल धवला के साथ पूजी गईं विद्या की देवी
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय मे स्थापित माँ वाग्वदेवी मंदीर में माँ का विधि विधान से कुलपति ने किया पूजा
वाराणसी। माँ वाग्देवी का स्थल और काशी दोनों का समन्वय भारतीय संस्कृति एवं संस्कार के ज्ञान गंगा की धारा के दर्शन मात्र से ही जीवन हर क्षण सुखमय हो जायेगा। भारतीय संस्कृति के पर्व सदैव भारतीयता और आत्मीयता का दर्शन है। उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत, विश्वविद्यालय, वाराणसी के तत्वावधान में माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को परिसर मे स्थापित माँ वाग्वदेवी मंदीर में माँ की मूर्ती के समक्ष पूजन के अवसर पर महर्षि वाल्मिकी विश्वविद्यालय मुंदणी, कैथल, हरियाणा के कुलपति प्रो. श्रेयाँश द्विवेदी ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया।
बसंत पंचमी पर षोडशोपचार विधि से पूजन एवं महामहोपाध्याय पं श्री. दामोदर शास्त्री के व्यक्तित्व कृतित्व पर आधारित विद्वदवैभव परम्परा के वृत्तचित्रों की शृंखला (03) के लोकार्पण करते हुये। कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने अध्यक्षता करते हुये पूरे मनोयोग से विश्वविद्यालय के अभ्युत्थान एवं राष्ट्र कल्याण हेतु विधिवत पूजन करते हुये कहा कि आज का दिन इस विद्या मन्दिर मे माँ सरस्वती जी के अवतरण दिवस के रुप में पूजन कर राष्ट्र कल्याण, अभ्युत्थान एंव राष्ट्र अभ्युदय के लिये किया जाता है, आज माघ पंचमी के दिन ऋग्वेद मे ऐसा वर्णित है की ब्रह्मा जी के कमण्डल से संगीत की देवी जी का अवतरण हुआ था, माँ सरस्वती जी के विभिन्न नामो मे प्रमुख माँ वीणा धारिणी,माँ हंस वाहिनी, माँ वागेश्वरी,माँ वाग्वदेवी आदि नामों से बोला जाता है, ब्राहम्ण’ग्रंथों के अनुसार ये ब्रह्मस्वरूपा, कामधेनु तथा समस्त देवों की प्रतिनिधि हैं। अमीत तेजस्वनी व अनंत गुणशालीनि देवी जी की कृपा सभी पर हो, यह पूजन विद्यार्थियों के तम को दूर करने और बुद्धि, विवेक, ज्ञान, संगीतज्ञान, कला आदि केवृद्धि एवं अभ्युदय के लिये किया जाता है, आज सभी विद्यार्थियों, समाज के लिये सद्भाव, सद्बुद्धी, राष्ट्र कल्याण आदि के लिये किया जा रहा है। कुलपति प्रो. शुक्ल ने कहा कि माँ सरस्वती जी विद्या व ज्ञान की अधिष्ठात्री, शान्ति और अहिंसा की देवी हैं, मनुष्य को सदैव धर्म के मार्ग पर जाने की प्रेरणा देती है, माँ के श्लोकों से शीतलता का भाव स्वतः उत्पन्न होता है। कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा कि या कुन्देन्दु तुसार हाल धवला——-का भाव सम्पूर्ण जग को प्रकाशित करता है। पूजन समारोह में वैदिक विद्यार्थियों के द्वारा विधिवत मन्त्रोच्चार, मंगलाचरण एवं पूजन किया गया तथा संगीत विभाग के द्वारा भजन सन्ध्या का कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।विभिन्न वक्ताओं के द्वारा शास्त्रों मे वर्णित माँ सरस्वती जी के महात्म का वर्णन किया गया। पूजन से पूर्व मन्दिर के पुजारी के द्वारा माँ वागदेवी जी का विधि विधान एवं मन्त्रोच्चार के द्वारा श्रिंगार किया गया था। कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो. राम पूजन पांडेय, प्रो. सुधाकर मिश्र, प्रो. महेंद्र नाथ पांडेय, प्रो. हर प्रसाद दीक्षित, प्रो. जितेन्द्र कुमार, प्रो. आशुतोष मिश्र, प्रो. प्रेम नारायण, प्रो. शैलेष कुमार मिश्र, प्रो. ब्रजभूषण ओझा, प्रो. अमित शुक्ल, डॉ. विजय कुमार पांडेय, डॉ. रविशंकर पांडेय एवं भारी संख्या मे विद्यार्थी, कर्मचारी आदि उपस्थित थे। स्वागत/संयोजक वेद विभागाध्यक्ष प्रो. महेंद्र नाथ पांडेय ने किया।