मंत्र नाटक से पूर्व संध्या पर मुंशी जी को किया गया याद
सांस्कृतिक विकेंद्रीकरण के आधुनिक प्रस्तोता हैं प्रेमचंद- प्रो श्रीप्रकाश शुक्ल
बुद्ध, कबीर, रविदास, तुलसी व भारतेंदु की परंपरा में आते हैं मुंशी जी- प्रो. विजयनाथ मिश्र
मंत्र नाटक से पूर्व संध्या पर मुंशी जी को किया गया याद
वाराणसी शनिवार 31 जुलाई। अंतरराष्ट्रीय काशी घाटवाक विश्वविद्यालय के तत्वावधान में प्रेमचंद की 141वीं जयंती की पूर्व संध्या पर मानसरोवर घाट के मुक्ताकाशी मंच पर विचार गोष्ठी सह कहानी मंचन का आयोजन किया गया। विचार गोष्ठी का विषय था-‘हमारा समाज और प्रेमचंद.’ काशी घाटवाक विश्वविद्यालय के संस्थापक प्रसिद्ध न्यूरो चिकित्सक प्रो विजयनाथ मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद हमारी बड़ी विरासत हैं जिनको समझकर ही हम सामाजिक मुक्ति की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने अपने समय में जिस तरह से सामाजिक कुरीतियों व जड़ संस्कारों से प्रतिवाद किया वह आज भी हमें आलोकित करता है। वे हिंदी जगत में बुद्ध, कबीर, रविदास, तुलसी व भारतेंदु की परंपरा में आते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते वरिष्ठ साहित्यकार व घाटवाकर प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि प्रेमचंद सांस्कृतिक विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया के आधुनिक प्रस्तोता थे जिन्होंने सामाजिक समता व मानवीय विवेक पर बहुत जोर दिया। इसके माध्यम से वे प्रतिक्रियावादी ताकतों के अंतर्विरोधों की शिनाख्त कर सके। प्रो. शुक्ल ने आगे कहा कि प्रेमचंद अपना प्लाट समाज से चुनते हैं जिससे वे सांस्कृतिक भाववाद से हमेशा टकराते चलते हैं।वे साहित्य को ही समाज का सच्चा इतिहास मानते हैं। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रतिष्ठित आलोचक डॉ कमलेश वर्मा ने कहा की प्रेमचंद इंसाफ़ की जरूरत को समझने वाले रचनाकार थे। वे समता मुल्क समाज के संस्थापक थे।जहां भी शोषण देखा इसके खिलाफ लिखा।वे गहरे अर्थों में आलोचक थे। विचार गोष्ठी के बाद प्रेमचंद की कहानी’ मंत्र’ का अष्टभुजा मिश्र द्वारा नौटंकी विधा में मंचन किया गया जिसको उपस्थित लोगों ने खूब सराहा। खास यह रहा कि मंचन को कथिक घराने के अंतिम कड़ी मुकुंद लाल बैरागी की टीम ने लोकनाट्य कलाकार अष्टभुजा मिश्रा के नेतृत्व में किया। मुंशी प्रेमचन्द्र जी ने 1928 में लिखी व ‘विशाल भारत’ में प्रकाशित प्रेमचंद की इस कहानी में बूढ़ा भगत व डा चड्ढा के माध्यम से नैतिकता व उच्च आदर्श की कथा कही गई है।इसमें दिखाया गया है कि पढ़े लिखे डॉ चड्ढा की तुलना में अनपढ़ बूढ़ा भगत ज्यादे संवेदनशील है। कार्यक्रम में युवा आलोचक डॉ महेंद्र कुशवाहा, युवा आलोचक डॉ विंध्याचल यादव, डॉ अमरजीत राम ने भी अपने वक्तव्य दिए। कार्यक्रम का संचालन शोध छात्र उदय पाल ने किया। कार्यक्रम में उत्तरप्रदेश सरकार में दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र, शालिनी मिश्र, डॉ रवि सोनकर, श्रुति मिश्र, अभय शंकर तिवारी, जूही त्रिपाठी, आस्था वर्मा, अमित राय, धनावती देवी, शिव विश्वकर्मा, आर्यपुत्र दीपक आदि की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही।