जीआई प्रमोशन के लिए नाबार्ड ने बढ़ाया हाथ
जीआई प्रमोशन के लिए नाबार्ड ने बढ़ाया हाथ
1000 जीआई आथोराइज्ड यूजर पंजीकरण एवं 300 जीआई शिल्पियों की स्किल ट्रेनिंग परियोजना स्वीकृत
वाराणसी, मंगलवार 3 अगस्त। वाराणसी जो कि दुनिया का सर्वाधिक जीआई उत्पादों वाला परिक्षेत्र है तथा वाराणसी एवं पूर्वांचल के 10 जनपदों के 20 लाख लोग सीधे इन जीआई क्राफ्ट के साथ सीधे जुड़े हैं, के ब्राण्डिंग एवं मार्केटिंग हेतु जीआई आथोराइज्ड यूजर पंजीकरण एक महत्वपूर्ण कानूनी आधार है। इस पहल को आगे बढ़ाते हुए नाबार्ड, उप्र के मुख्य महाप्रबन्धक डॉ. डीयस चौहान द्वारा 2 महत्वपूर्ण परियोजनाओं को जीआई शिल्पियों के विकास के लिए स्वीकृत किया गया। जिसके अन्तर्गत वाराणसी परिक्षेत्र एवं पूर्वांचल के 17 जीआई जिसमें 12 जीआई पंजीकृत एवं 5 जीआई का प्रमाण पत्र शीघ्र आने वाला है, के 1000 जीआई आथोराइज्ड यूजर पंजीकरण एवं 300 जीआई शिल्पियों की स्किल ट्रेनिंग परियोजना स्वीकृति पत्र आज मंगलवार को कमिश्नर दीपक अग्रवाल द्वारा डीडीयम नाबार्ड अनुज कुमार सिंह की उपस्थिति में ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव एवं जीआई विशेषज्ञ डॉ0 रजनी कान्त (पदमश्री सम्मान-2019) को कमिशनरी कार्यालय में दिया गया। देश में पहली बार जीआई आथोराईज्ड यूजर के लिए इतनी बड़ी पहल नाबार्ड द्वारा की गयी है, जिसका लाभ जीआई शिल्पियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं को जीआई टैग के साथ सही उत्पाद प्राप्त हो सकेगें एवं मिर्जापुर हस्तनिर्मित दरी तथा वाराणसी ग्लासबीड्स के 300 शिल्पियों विशेषकर महिला शिल्पियों का 15 दिवसीय कौशल उन्नयन प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। नाबार्ड द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से इसकी शुरूआत की गयी है और आने वाले समय में उत्तर प्रदेश के अन्य भागों तथा देश के अन जीआई उत्पादों के लिए भी यह पहल किया जाएगा। कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने इस अवसर पर नाबार्ड के इस प्रयास की सराहना किया एवं डॉ0 रजनीकान्त को इस महत्वपूर्ण परियोजना के सफल संचालन के लिए शुभकामनाएं दिया एवं विश्वास दिलाया कि प्रशासन की तरफ से पूरा सहयोग जीआई अभियान के लिए प्रदान किया जाएगा जिससे सम्बन्धित शिल्पियों एवं बुनकरों के सही उत्पादों को जीआई टैग के माध्यम से सीधे बाजार से जोड़ा जा सके एवं उन्हें अधिक रोजगार के अवसर प्राप्त हो सके।