पहली बार किसी महिला को दी जाएगी फांसी
आजादी के बाद स्वतंत्र भारत में पहली बार किसी महिला को दी जाएगी फांसी
प्यार में अंधी महिला ने अपने ही परिवार के 7 लोगों को कुल्हाड़ी से काटकर उतारा था मौत के घाट
मथुरा। देश में पहली बार जघन्य अपराध करने के लिए किसी महिला अपराधी को फांसी दी जाएगी और यह सब उत्तर प्रदेश के मथुरा जेल में होगा। दोषी महिला को मथुरा की महिला जेल में बने फांसी घर में लटकाया जाएगा। हालांकि फांसी कब होगी, अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है। लेकिन,सजा को देने के लिए फांसी घर की मरम्मत और फंदे के रस्सी का ऑर्डर दिया गया है। मेरठ में रहने वाले पवन जल्लाद से मथुरा जेल के अफसरों ने संपर्क किया है। शबनम और सलीम के बेमेल इश्क की खूनी दास्तां फांसी के फंदे के एकदम करीब पहुंच गई है। बता दें कि 13 साल पहले अमरोहा की रहने वाली शबनम ने प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के 7 लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी। ट्रायल कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी। महिला द्वारा 15 फरवरी को उसकी दया याचिका मांगी थी परंतु राष्ट्रपति ने भी खारिज कर दी। शबनम अभी रामपुर जेल में बंद है जबकि, उसका प्रेमी अभी आगरा जेल में है।
आजादी के बाद अब तक किसी महिला को नहीं दी गयी है फांसी
महिलाओं को फांसी के लिए मथुरा जेल में 1870 में फांसी घर बनाया गया था। आजादी के बाद से इस फांसी घर में किसी को फांसी पर नहीं लटकाया गया है। सालों से बंद पड़े फांसी घर की मरम्मत के लिए जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने उच्चाधिकारियों को चिट्ठी लिखी है। हालांकि, उन्होंने शबनम को फांसी दिए जाने की जानकारी से इनकार किया। कहा कि फांसी घर की स्थिति खराब थी, इसलिए उसकी मरम्मत के लिए पत्र लिखा गया।
प्यार के खातिर परिवार को पहले किया बेहोश फिर कुल्हाड़ी से काटकर कर दिया हत्या
अमरोहा के बाबनखेड़ी गांव की निवासी शबनम ने 15 अप्रैल 2008 को अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस अहमद, उसकी पत्नी अंजुम, भतीजी राबिया और भाई राशिद के अलावा अनीस के 10 महीने के बेटे अर्श की हत्या कर दी थी। सभी को पहले दवा देकर बेहोश किया और इसके बाद अर्श को छोड़कर अन्य को कुल्हाड़ी से काट डाला था। इतना ही नहीं शबनम ने अर्श का गला दबाकर उसे भी मारा डाला था। जांच में पता चला था कि शबनम गर्भवती थी, लेकिन परिवारवाले सलीम से उसकी शादी के लिए तैयार नहीं थे। इसी वजह से शबनम ने प्रेमी सलीम से मिलकर पूरे परिवार को मौत की नींद सुला दिया था।
हाईकोर्ट-सुप्रीमकोर्ट ने बरकरार रखी थी फांसी की सजा
15 जुलाई 2010 को ट्रायल कोर्ट ने दोनों को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी बरकरार रखी। शबनम ने बेटे का हवाला देते हुए माफी की मांग की थी। इससे पहले भी सितंबर 2015 में उत्तरप्रदेश के तत्कालीन गवर्नर राम नाईक ने भी शबनम की दया याचिका याचिका खारिज कर दी थी।
जल्लाद ने कहा- टूटा था तख्ता, लीवर भी जाम था
पवन जल्लाद ने बताया कि वह 6 माह पहले मथुरा जेल गया था। वह काफी खराब हालत में था। जिस तख्ते पर खड़ाकर दोषी को फांसी को दी जाती है, वह टूट चुका था। अब उसे बदलवा दिया गया है। लीवर भी जाम था, अब वह भी ठीक हो चुका है। मेरठ के जेल अधीक्षक डॉक्टर बीबी पांडेय बताया कि मथुरा जेल से जैसे ही पवन जल्लाद को बुलावा आएगा, उसे भेज देंगे।