सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए के वकील से पूछा आपके डाक्टर मरीजों को गैर जरुरी महंगी दवा क्यों लिखते हैं, शिकायत मिलने पर क्या किया,
अपना घर दुरुस्त करो, गैरजरूरी महंगी दवाएं लिखते हैं डॉक्टर’, सुप्रीम कोर्ट ने आई एम ए पर भी उठाया सवाल,
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि केस सुनवाई के दौरान कोर्ट में आइएमए की पैरोकारी कर रहे वकील पीएस पटवालिया से कहा कि किसी की ओर उंगली उठाते वक्त ध्यान रखें कि चार उंगलियां आपकी ओर हैं। आइएमए के सदस्यों के अनैतिक आचरण की कई बार शिकायतें आपके पास आई होंगी उन पर क्या कार्रवाई की गई। पीठ ने कहा कि हम आपकी तरफ भी निशाना कर सकते हैं,
पतंजलि के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन की शिकायत करने वाली इंडियन मेडिकल एसोशिएसन (आइएमए) को भी सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को घेर लिया। कोर्ट ने आइएमए से कहा कि उन्हें भी अपना घर दुरुस्त करने की जरूरत है। उन्हें अपने सदस्यों के अनैतिक आचरण पर ध्यान देना चाहिए, जो महंगी और गैरजरूरी दवाइयां लिखते हैं। इतना ही नहीं, कोर्ट ने सुनवाई का दायरा बढ़ाते हुए एफएमसीजी कंपनियों को भी शामिल कर लिया है।
कोर्ट ने आइएमए से पूछे तीखे सवाल
सुनवाई के दौरान कोर्ट में आइएमए की पैरोकारी कर रहे वकील पीएस पटवालिया से कहा कि किसी की ओर उंगली उठाते वक्त ध्यान रखें कि चार उंगलियां आपकी ओर हैं। आइएमए के सदस्यों के अनैतिक आचरण की कई बार शिकायतें आपके पास आई होंगी, उन पर क्या कार्रवाई की गई। पीठ ने कहा कि हम आपकी तरफ भी निशाना कर सकते हैं। पटवालिया ने कहा कि वह इस पर ध्यान देंगे। पटवालिया के सुझाव पर कोर्ट ने नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) को भी मामले में पक्षकार बनाया।
एमएमसीजी पर भी निगाह टेढ़ी
पीठ ने कहा ड्रग एंड मैजिक रेमिडी एक्ट को लागू करने पर बारीकी से विचार किये जाने की जरूरत है। यह मामला सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मौजूद प्रस्तावित अवमाननाकर्ता (बाबा रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि) तक ही सीमित नहीं बल्कि सभी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) कंपनियों तक फैला हुआ है, जो कई बार भ्रामक विज्ञापन जारी करती हैं जिससे जनता भ्रमित होती है। विशेष तौर पर शिशु, बच्चे प्रभावित होते है और बुजुर्ग इन भ्रमित विज्ञापनों को देखकर दवाइयां लेते हैं। जनता को धोखे में नहीं रहने दिया जा सकता।भ्रामक विज्ञापनों पर नजर जरूरी
कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य की लाइसेंसिंग ऑथोरिटी से कहा कि वे भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के लिए खुद को सक्रिय करें। पीठ ने कहा कि प्रिन्ट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जारी होने वाले भ्रामक विज्ञापनों को देखते हुए जरूरी हो जाता है कि मामले में उपभोक्ता कल्याण मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय व सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय को पक्षकार बनाया जाए जो ड्रग एवं मैजिक रेमिडी एक्ट, ड्रग एवं कॉस्मेटिक एक्ट व कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट का उल्लंघन देखें।
इस मुद्दे पर कोर्ट में सात मई को सुनवाई होगी
कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की लाइसेंसिंग ऑथोरिटी को भी पक्षकार बनाया है। कोर्ट ने तीनों केंद्रीय मंत्रालयों को आदेश दिया है कि वे हलफनामा दाखिल कर बताएंगे कि 2018 से अब तक नियम कानूनों का दुरुपयोग करने व उनका दुरुपयोग रोकने के लिए क्या कार्रवाई की गई। इस मुद्दे पर कोर्ट में सात मई को सुनवाई होगी।