विद्यापीठ के संविदा शिक्षक वेतन की मांग को लेकर किया सत्याग्रह
वाराणसी | महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्रांगण में संविदा शिक्षकों ने सत्याग्रह आज पांचवे दिन भी कायम रखा हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन जोड़-तोड़ की नीतियों में लगा हुआ है. संविदा शिक्षकों ने बताया कि 30 जून के बाद से अब तक लगातार मौखिक आदेशों के जरिए विश्वविद्यालय ने उनकी सेवा ली है और यदि शिक्षकों ने सेवा दी है तो उनका भुगतान क्यों नहीं हो रहा.
विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा जारी एक पत्र में स्पष्ट कर दिया है कि इन संविदा शिक्षकों की संविदा 30 जून को समाप्त कर दी गई । जबकि राज्य सरकार के द्वारा जारी 13 मार्च 2020 के आदेशानुसार इनकी संविदा अवधि स्वत:विस्तारित होकर पाठ्यक्रम चलते रहने तक अथवा इनकी आयु 62 वर्ष होने तक मान्य है। उत्तर प्रदेश के अन्य राज्य विश्वविद्यालयों यथा पूर्वांचल विश्वविद्यालय आदि ने भी राज्य सरकार के उक्त आदेश को मान्य किया है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने भी इसे अपनी कार्यसमिति में इस आदेश को स्वीकार कर अपने परिनियमावली में शामिल कर लिया और उसी आदेशानुसार वेतन भी निर्गत किया। कोरोना संकट का हवाला देकर विश्वविद्यालय प्रशासन हमेशा इन शिक्षकों की मांग को टालमटोल करते रहे अब 28 अक्टूबर के बाद ऐसा क्या हुआ कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इनके वेतन भुगतान से मुकरने लगे और इस प्रक्रिया के रुख को परिवर्तित करने में लग गए तथा नई नियुक्ति हेतु विज्ञापन और साक्षात्कार आदि की बात करने लगे।
सत्याग्रह के 5वें दिन तक महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कोई भी जिम्मेदार प्रशासनाधिकारी संविदा शिक्षकों से मिलने और वार्ता करने नहीं आए।