यदि जूनियर जज केसों की सुनवाई छोड़ जिला जज परीक्षा पर ध्यान देंगे तो निचली न्यायपालिका संकट में पड़ जाएगी-सुप्रीम कोर्ट
उच्च न्यायिक सेवा में वरिष्ठता और पदोन्नति को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई शुरू सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मंगलवार को उच्च न्यायिक सेवा (Higher Judicial Service) में आपसी वरिष्ठता (inter-se seniority) और जिला जज पदों में पदोन्नति कोटा से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई शुरू की। यह मामला उन निचली अदालत के न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति से जुड़ा है, जो सिविल जज (जूनियर डिवीजन) या न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में सेवा शुरू करते हैं और बाद में पदोन्नति के सीमित अवसरों के कारण कैरियर में ठहराव (stagnation) झेलते हैं।
इस मामले की सुनवाई चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस सूर्या कांत, विक्रम नाथ, के. विनोद चंद्रन तथा जॉयमल्या बागची की पाँच-जजों की पीठ कर रही है। कोर्ट की चिंता सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्या कांत ने हाल ही में आए फैसले Rejanish KV बनाम के. दीपा के असर पर चिंता जताई, जिसमें कहा गया था कि 7 साल का अनुभव रखने वाले न्यायिक अधिकारी जिला जज की सीधी भर्ती परीक्षा दे सकते हैं। जस्टिस कांत ने कहा कि इससे जूनियर अधिकारी मुकदमों पर ध्यान देने के बजाय परीक्षा की तैयारी पर अधिक फोकस कर सकते हैं, जिससे निचली अदालतों में संकट पैदा हो सकता है।
उच्च न्यायिक सेवा में वरिष्ठता और पदोन्नति को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई शुरू सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मंगलवार को उच्च न्यायिक सेवा (Higher Judicial Service) में आपसी वरिष्ठता (inter-se seniority) और जिला जज पदों में पदोन्नति कोटा से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई शुरू की। यह मामला उन निचली अदालत के न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति से जुड़ा है, जो सिविल जज (जूनियर डिवीजन) या न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में सेवा शुरू करते हैं और बाद में पदोन्नति के सीमित अवसरों के कारण कैरियर में ठहराव (stagnation) झेलते हैं।