समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र में “भारतीय नस्ल के गौ वंश के गोबर से हवन में प्रयोग किये जाने वाले उपले बनाने की संकाय प्रमुख ने विधि सिखायी
समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र में “भारतीय नस्ल के गौ वंश के गोबर से हवन में प्रयोग किये जाने वाले उपले बनाने की संकाय प्रमुख ने विधि सिखायी
वाराणसी। समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र में सामाजिक विज्ञान संकाय के संकाय प्रमुख प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा के द्वारा उपले बनाने का प्रशिक्षण विद्यार्थियों को दिया गया। उपले बनाने में भारतीय नस्ल की गाय माता का गोबर प्रयोग में लाया गया। इन उपलों का प्रयोग हवन, पूजन, एवं रसोई घर इत्यादि में किया जा सकता है । इस अवसर पर संकाय प्रमुख ने प्रशिक्षण उपरांत छात्रों से उपले बनवाएं। विद्यार्थियों का उद्बोधन करते हुए कहा कि व्यापक स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में गैया मैया के गोबर से उपले बनाकर रोजगार का सृजन किया जा सकता है। ऑनलाइन माध्यम से उपले, एंटी रेडिएशन चिप इत्यादि बेचे जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े स्तर पर रोजगार हेतु ग्रामीण उद्यमी प्रयास करें तो गोधन से राष्ट्रीय आय में अभूतपूर्व वृद्धि की जा सकती है। संकाय प्रमुख ने भारत सरकार से निवेदन किया है कि भारतीय नस्लों के गायों के पालन हेतु किसान भाइयों को आर्थिक सहायता तथा गाय आधारित उत्पादों के लिए उपयुक्त बाजार उपलब्ध कराएं। इससे उनकी आमदनी में वृद्धि हो सकती है। इस अवसर पर डॉ आलोक कुमार पाण्डेय ने दो दिवस पूर्व आयोजित कार्यशाला के दौरान छात्रों के द्वारा तैयार गौ आधारित उत्पादों से निर्मित जीवामृत, तकरासो, घन जीवामृत इत्यादि के बारे में संकाय प्रमुख को अवगत कराया। संकाय प्रमुख ने निर्देशित किया है कि एक स्टार्टअप के माध्यम से समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र के डॉ आलोक कुमार पांडे के नेतृत्व में कंपनी बनाकर गांव आधारित उत्पादों को बाजार में उतारा जाए। इस प्रयास से केंद्र को अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त हो सकती है। कार्यक्रम में अनुराग कश्यप, आलोक, राहुल, अनुराग, उदित, सुकुल, राणा प्रताप, मुनचुन, कार्यक्रम में उपस्थित रहें और उपले बनाना सीखे। इस दौरान केन्द्र के अनिल कुमार भूषण, सिलाई की अध्यापिका आरती विश्वकर्मा, रामजी, सतीश कुमार वर्मा, सुरेश सम्मिलित रहे।