संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले हो रहे किसान संवाद पंचक्रोशी यात्रा का हुआ समापन
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले हो रहे किसान संवाद पंचक्रोशी यात्रा का हुआ समापन
वाराणसी, रविवार 28 फरवरी। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले हो रहे किसान संवाद पंचक्रोशी यात्रा के तीसरे दिन रविवार को समापन हुआ। पंचक्रोशी यात्रा मार्ग के ग्रामीण अंचल में कृषि कानूनों के साथ किसानों की आय, महंगाई जैसे अलग-अलग मुद्दों, पर चर्चा की गयी। यात्रा के विभिन्न पड़ावों रामेश्वर, पांचों पांडव, गणेशपुर, हरहुआ, पंचकोसी, सोनवा तालाब, कपिलधारा परिक्षेत्र में गणेशपुर पोखरा, भरलाई, सारंग तालाब पर स्थानीय जनों विशेषकर महिला मजदूरों के बीच कृषि कानूनों से होने वाले नुकसान पर नुक्कड़ सभाएं भी हुईं। शास्त्रों में बताया गया है कि पंचक्रोशी यात्रा के दौरन यात्रियों को अन्न मय, प्राण मय, मन मय, विज्ञान मय और आनंद मय इन पांच कोशों की अनुभूति होती है।
वेदों में माना गया है की ये पांच कोश ही हमारे मूलभूत कण हैं। इन पांच कोशों में सर्वप्रथम है अन्न कोश और ‘किसान संवाद पंचक्रोशी यात्रा’ का उद्देश्य भी अनाज के उपजाने और उनके सम्मान से जुड़ा हुआ है। अन्न और अन्नदाता किसानों के प्रति हमारी सरकारें थोड़ी संवेदनशीलता दिखाएँ। खेती किसानी लगातार घाटे का सौदा बनती जा रही है। NCRB के आंकड़ें भयावह तस्वीर पेश करते हैं की लगभग 10,281 किसानों ने 2019 में अपनी जान ले ली। मतलब हर दिन लगभग 28 किसान अपनी परेशानियों का कोई अंत न देख अपने जीवन को समाप्त करने का फैसल कर लेते हैं। हमारा देश एक कृषि प्रधान देश तो कहलाता है लेकिन हमारी अर्थव्यवस्था कृषि केंद्रित नहीं हैं।
आप हर साल सुनते होंगे की सरकार ने लाखों करोड़ रुपये बड़ी कंपनियों के कर्जे माफ़ किये क्यों कि उन्हें नुकसान हुआ। लेकिन एक नज़र किसानों की जरुरत पर OECD (Organisation for Economic Co-operation and Development) 2018 में आंकड़ें पेश किए कि वर्ष 2000 से 2016, 16 सालों के दौरान देश के किसानों को लगभग 45 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। भारत सरकार द्वारा किये जाने वाले इकोनॉमिक सर्वे 2016 का आंकड़ा बताता है की 17 राज्यों में किसान परिवारों की वार्षिक आय 20,000 रुपये है, मतलब लगभग 55 रुपये प्रतिदिन। किसानों को हो रहे इतने बड़े नुकसान के बारे में ना तो कहीं मीडिया में कोई खबर है और ना ही कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक ही इस मुद्दे पर कुछ कहता है। 2022 तक प्रधानमंत्री मोदी ने देश के किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया है । मतलब आज के आंकड़ों के हिसाब से 55 रुपये प्रतिदिन से बढ़ कर 100 रुपये प्रतिदिन, लेकिन जरा सोचिए क्या इससे किसानों की दशा सुधरने वाली है ? जबकि आज ट्रेक्टर का ईंधन डीजल आज लगभग 80 रुपये प्रतिलीटर की दर से बिक रहा है तो प्रधानमंत्री की ये ‘दोगुनी आय’ किसानों के लिए ऊंट के मुँह में जीरा के समान है।
काशी के लाल और किसान पुत्र पूर्व प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा दिया था। इसलिए काशी की पवित्र जमीन पर पंचक्रोशी यात्रा के माध्यम से ‘किसान संवाद पंचक्रोशी यात्रा’ किसानों के वास्तविक समस्याओं पर जनता और सरकार का ध्यान खींचने के लिए किया गया एक प्रयास है। संवाद यात्रा का उद्देश्य ये भी है की कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ देश भर में प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता दिखाई जाए। मीडिया और सरकारी प्रचारतंत्र लगातार किसानों के मुद्दे को हिन्दू-मुसलमान के रंग में रंगने की असफ़ल कोशिश करता रह है. अब आम जनता और किसानों को एकजूट होकर इस दुष्प्रचार का जवाब देना है। किसान संवाद पंचक्रोशी यात्रा के अंतिम दिन शहीद हुए प्रदर्शनकारी किसानों के साथ ही सन 2002 में गोधरा में हिन्दू मुस्लिम दंगो में मारे गए रेल यात्रियों के लिए भी दो मिनट का मौन रख यात्रा का समापन किया गया।
आज यात्रा में प्रेरणा कला मंच के साथियो मुकेश झँझरवाला, अजित, शसांक द्विवेदी, विजय प्रकाश, अजय पॉल, गोविंदा, रंजीत, सन्दीप, प्रमोद ने नुक्कड़ नाटक और जनगीतों से सांस्कृतिक चेतना से जोड़कर खेती किसानी की बात जनता में रखी। यात्रा में मुख्य रूप से फादर आनंद, नंदलाल मास्टर, जागृति राही, सतीश सिंह, डॉ अनूप श्रमिक, धनञ्जय, रवि शेखर, दीपक सिंह, अबु हाशमी, अहमद भाई, कमलेश, सच्चिदानंद, सोनी, सुषमा, अहमद अंसारी, लक्ष्मण प्रसाद रजत सिंह आदि शामिल रहें. किसानों के हित के लिए लगातार कार्य करने के संकल्प के साथ यात्रा का समापन हुआ।