आवेदन शुल्क में हुई बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन
बीएचयू में प्रवेश परीक्षा फॉर्म सहित अन्य शुल्क में हुई बढ़ोतरी को वापस लेने के संबंध में छात्रों ने सौंपा ज्ञापन
कुलपति की अनुपस्थिति में रजिस्ट्रार ने लिया ज्ञापन
वाराणसी, सोमवार एक मार्च। बीएचयू के छात्र सेंट्रल ऑफिस पर ज्ञापन देने के लिए इकट्ठा हुए। सेंट्रल ऑफिस के अंदर जाने से छात्रों को सुरक्षाकर्मियों ने रोक लिया। काफी जद्दोजहद के बीच कुछ छात्रों को ज्ञापन देने के लिए अंदर प्रवेश दिया गया। बीएचयू कुलपति के अनुपस्थिति में छात्रों ने रजिस्टर को ज्ञापन सौंपा। छात्रों ने बताया कि पीएच.डी. प्रवेश परीक्षा में 33% एवं बीएचयू से संबंधित प्राथमिक के आवेदन शुल्क 78% एवं इंटरमीडिएट में नामांकन के आवेदन शुल्क को 50% बढ़ा दिया गया है। उन्होंने बताया कि आंतरिक खबर यह भी है कि विश्वविद्यालय के यू.जी. एवं पी.जी. के आवेदन शुल्क भी 60% और संबंधित स्कूलों के शिक्षण शुल्क में तीन-चार गुना की बढ़ोतरी हुई है, जो समयानुसार वसूला जायेगा। यह बढ़ोतरी उस समय-उस आपदा में किया गया/ जा रहा है जब गांव-देहात सहित तमाम शहरों में रहने वाले बच्चों के अभिभावक बेरोजगारी के शिकार हो गये हैं।
उनकी बनी-बनाई धंधा कोविड-19 महामारी के कारण समाप्त हो गयी है। लाखों मजदूरों को उनकी कंपनियां बंद होने की वजह से रोटी के लाले पड़े हैं। किसानों के फसलों का मूल्य सालों-साल बकाया पड़ा हुआ है। किसान अपने खेती-बाड़ी को बचाने की लड़ाई को लेकर तीन महीनों से दिल्ली में संघर्षरत हैं। मंहगाई की मार से कोई बचा नहीं। महोदय, ऐसी परिस्थितियों में आपको आपदा को अवसर में तब्दील करने की जरूरत नहीं थी। वही छात्रों ने ज्ञापन के द्वारा निवेदन किया कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों पर रहम करते हुए शुल्क-वृद्धि के फैसले को वापस ले लीजिए, क्योंकि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का निर्माण यही सोच कर हुआ था कि पढ़ने वालों को कम से कम खर्च में उचित शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सुविधाएं मिलें, न कि ‘विश्वविद्यालय को पैसा पैदा करने वाला पेड़’ बनाया जाय, जैसा कि आप सोचते हैं। लोगों द्वारा बदल-बदलकर जनप्रतिनिधियों का चुनाव के पीछे का मंतव्य भी यही रहता कि उन्हें और उनके पारिवारिक सदस्यों को शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कम से कम खर्च में मिले। परंतु महोदय आपके फैसले किसी भी मायने में सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का अंग प्रतीत नहीं हो रहें हैं।
छात्रों ने कहा कि महोदय, यदि आप अपने फैसले पर अडिग रहेंगे तो हम सभी आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे और उस आन्दोलन की पूरी जिम्मेवारी बीएचयू प्रशासन और सरकार की होगी। जानकारी के लिए बताना चाहते हैं कि ऐसी ही शुल्क वृद्धि सत्र 2013-14 में हुई थी जिसका विरोध सभी छात्रों ने एक स्वर में और एक साथ मिलकर किया था। तीन-चार रोज तक विश्वविद्यालय के सभी गेट बंद कर दिये गये थे। छात्रों के जोश और जुनून भरे आन्दोलन के सामने विश्वविद्यालय को झुकना पड़ा था और विश्वविद्यालय प्रशासन ने शुल्क-वृद्धि के फैसले को वापस ले लिया था। अंत में छात्रों ने कहां थी हम सभी छात्र विनम्र निवेदन करते हैं कि आप अपने फैसले को वापस लें, जिससे विश्वविद्यालय की मान-मर्यादा बची रहे और बिना किसी शर्त के नामांकन के इच्छुक अभ्यर्थियों से वसूला गया/ वसूला जा रहा शुल्क वापस करवाने की कृपा करें। इस दौरान काफी संख्या में छात्र मौजूद थे।