युवक सांपों से करता है प्यार
सर्प दिवस स्पेशल / ओमकार नाथ
वाराणसी के मिर्जामुराद का रहने वाला युवक सांपों से करता है प्यार
बिना चोट पहुंचाए अब तक पकड़ चुका है हजारों सांप, पकड़े गए सांपों को छोड़ देता है जंगलों में
वाराणसी, शुक्रवार 16 जुलाई। सांप का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं और उसको मारने की सोचने लगते हैं। परंतु बता दे कि हर सांप विषैले नहीं होते। जिस प्रकार मजदूर दिवस, महिला दिवस मनाया जाता है ठीक उसी प्रकार विश्व सर्प दिवस भी मनाया जाता है। जी हां आज के दिन यानी 16 जुलाई को विश्व सर्प दिवस मनाया जा रहा है। आज दुनिया भर में लोग सांप के प्रति अपना प्यार दिखाने के लिए तरह – तरह के आयोजन करते हैं। लोगों को सांप के बारे में जागरूक करते है। हम ऐसे ही एक शख्स की बात करते हैं जो सांसों को देखते ही मारता नहीं है बल्कि इन्हें पकड़कर उनसे प्यार करता है। लोग जहां सांपों को देखकर भागने लगते हैं। वहीं सर्प इस शख्स को देख खुद भागने लगते हैं। सांपों को बड़े ही आसानी से हाथों से पकड़ लेता है। मिर्जामुराद निवासी रतन कुमार गुप्ता की बाजार में ही हाइवे किनारे गैस-चूल्हा, कुकर बनाने के साथ घड़ी-चश्मा की दुकान है। यह पिछले पंद्रह वर्षों से बगैर किसी तंत्र-मंत्र विद्या के शौकिया हाथों से सांपों को पकडऩे का काम करता है। युवक का कारनामा देख ग्रामीणों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। घरों-दुकानों में सांपों के निकलते ही दूरदराज के लोगों की जुबान पर तुरंत ही रतन की याद आती है। रतन कोबरा के नाम से प्रसिद्ध युवा को मोबाइल पर सूचना मिलते ही वह अपनी बाइक से मौके पर पहुंचकर लकड़ी व लोहे के एक छोटे से डंडे के सहारे खतरनाक फनधारी फुंफकार मारते सांपों को हाथों से पकड़ लेता है। सांप पकड़ जाने पर गृहस्वामी खुश होकर उसकी जेब में जरूर अच्छी बख्शीश देकर उसे खुश कर देते हैं। सांपों को पकड़ डिब्बे में बंद कर दुकान पर लाने के बाद फिर उसे शीशे के केबिननुमा बॉक्स में रख देता है, फिर 15-20 सांप हो जाने पर उसे बोरी में भरकर सुनसान पहाड़ी-जंगल इलाके में ले जाकर छोड़ देता है। इतना ही नहीं रतन गुप्ता का पुत्र जय गुप्ता भी सांपों को आसानी से पकड़ लेता है। पूछने पर बताया कि पापा को पकड़ते देख धीरे-धीरे हम भी पकड़ने लगे हैं और हमें भी डर नहीं लगता। युवा दुकानदार द्वारा अब तक तीन हजार से अधिक सांपों को पकड़ चुका है। सांपों को पकड़ते- पकड़ते उसने यह कला सीख अब उसे अपना शौक बना सांपों को ही दोस्त बना लिया है। ग्रामीणों की सुविधा के लिए हाइवे पर गोपीगंज से रामनगर के बीच कई जगह सांप पकडऩे के लिए संपर्क करे जनसेवा केंद्र की वालराइटिंग करा अपना मोबाइल नंबर भी लिखवा दिया है। जब हमने रतन गुप्ता नामक युवक से बात किया तो युवक ने बताया कि लोग सांपों को देखते हैं लाठी डंडा से मार कर उससे मृत कर देते है। उसी दौरान मन में विचार आया कि क्यों ना इन सांपों को बचाया जाए। रतन ने बताया कि सभी सांप विषैले नहीं होते कुछ साथ किसानों के मित्र व पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। फिर हमने सोचा कि पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका निभाने वाले प्रकृति की देन सांपो की जिंदगी बचाने हेतु उन्हेंं पकड़ कर अपना दोस्त बनाने लगा और देखते ही देखते अब उनसे गहरी दोस्ती कर ली। युवा दुकानदार रतन कुमार ने बताया कि हमारे पिता पिता स्व.श्यामलाल गुप्ता सपेरों के संग महुअर खेलने की विद्या जानते थे, और सपेरों के आने पर मिर्जामुराद कस्बा में खूब महुअर खेलते थे। पिताजी को महुआ के साथ खेलते देखने के लिए ग्रामीणों की भारी भीड़ जुटती थी।
कब से मनाया जाने लगा विश्व सर्प दिवस
भारत में करीब 300 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं इनमें से करीब 50 प्रजाति ही विषैली होती है। बता दें कि टेक्सास में सन् 1967 में सांपो को लेकर एक फर्म शुरू हुई जो 1970 तक काफी मशहूर हो गई। इस फर्म ने लोगों को सांपो के बारे में जागरूक करना शुरू कर दिया। इसे फर्म ने 16 जुलाई को विशेष आयोजन किए जिसके बाद कई एनजीओ ने इस दिन सांपो के बारे में जागरूकता फैलाना शुरू कर दिया और फिर आम लोगों में प्रचलित हो गया। इन सब के बावजूद भी आज भी लोगों के मन में सांप के प्रति भय व्याप्त है। जिसके कारण ज्यादातर सांप मार दिए जाते हैं।