बीएचयू चिकित्सा विज्ञान संस्थान ने मनाया संस्थापक निदेशक पद्मश्री प्रो. केएन उडुप्पा का जन्म शताब्दी समारोह
बीएचयू चिकित्सा विज्ञान संस्थान ने मनाया संस्थापक निदेशक पद्मश्री प्रो. केएन उडुप्पा का जन्म शताब्दी समारोह
वाराणसी, शनिवार 31 जुलाई। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय चिकित्सा विज्ञान संस्थान ने उत्साहपूर्वक अपने संस्थापक निदेशक पद्मश्री प्रो. केएन उडुप्पा का जन्म शताब्दी समारोह मनाया, जिसमें अनेक प्रख्यात हस्तियों ने अपने संबोधनों व संस्मरणों के माध्यम से प्रो. उडुप्पा के जीवन व उनके अतुलनीय योगदान को याद किया। उद्घाटन भाषण में चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक, प्रो. बी. आर. मित्तल ने कहा कि प्रो. के. एन. उडुप्पा द्वारा रखी गई सशक्त नींव पर आज चिकित्सा विज्ञान संस्थान की इमारत खड़ी है। प्रो. मित्तल ने कहा कि प्रो. उडुप्पा एक ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व थे जिनकी दूरदर्शिता के परिणामस्वरूप चिकित्सा विज्ञान संस्थान आज ख्याति एवं प्रतिष्ठा के शिखर छू रहा है। उन्होंने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में न्यूक्लियर मेडिसीन की शुरूआत का श्रेय भी प्रो. केएन उडुप्पा को ही जाता है।
मेडिसीन संकाय के संकाय प्रमुख प्रो. एस. के. सिंह ने प्रो. केएन उडुप्पा की जीवन यात्रा एवं उनके योगदान के बारे में चर्चा की। उन्होंने एक अनुभव साझा करते हुए बताया कि शहनाई सम्राट उस्ताद बिस्मिल्ला खां एक कार्यक्रम में शामिल होने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन जब उन्हें पता चला कि ये निमंत्रण प्रो. के. एन. उडुप्पा की ओर से आया है तो उस्ताद ने हामी भर दी। प्रो. एसके सिंह ने कहा कि ये डॉ. उडुप्पा के विशाल व्यक्तित्व का ही प्रभाव था कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक कॉलेज ने चिकित्सा विज्ञान संस्थान तक का सफर तय किया, जो आज आधुनिक व प्राकृतिक चिकित्सा के एक बड़े केन्द्र के रूप में जनसेवा कर रहा है।
प्रो. सिंह ने डॉ उडुप्पा के कार्य व योगदान के लिए उन्हें बीएचयू के दूसरे मालवीय की संज्ञा दी। रेक्टर एवं कार्यवाहक कुलपति प्रो. वीके शुक्ला ने बताया कि डॉ. उडुप्पा के शब्दों ने उन्हें जीवन भर प्रेरणा दी व आगे बढ़ने के लिए ऊर्जा प्रदान की। प्रो. शुक्ला ने बताया कि प्रो. केएन उडुप्पा ने उन्हें कहा था कि वे बीएचयू में ही रहें और यही शब्द आज भी उनका मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने कहा कि जो भी प्रो. उडुप्पा के सम्पर्क में आता था वह प्रोत्साहन व प्रेरणा पाता था। उन्होंने बताया कि उन्हें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से जुड़े हुए ठीक 50 वर्ष हो गए हैं और प्रो. उडुप्पा जैसे व्यक्तित्व के साथ काम करने का अवसर मिलना उनके लिए गर्व की बात है। प्रो. शुक्ला ने चिकित्सा विज्ञान संस्थान के सदस्यों का आह्वान किया कि वे अपने कार्य व योगदान से प्रो. उडुप्पा को सच्ची श्रद्धांजलि देने का काम करें।
हाईब्रिड मोड में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में प्रो. एसएम तुली, पूर्व आचार्य, ऑर्थोपेडिक्स एवं पूर्व निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, प्रो. श्रीधर द्विवेदी, चिकित्सा विज्ञान संस्थान के पुरा छात्र एवं प्रख्यात कार्डियोलॉजिस्ट, तथा प्रो. अभिमन्यु कुमार, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पुरा छात्र, ने प्रो. के. एन. उडुप्पा शताब्दी संबोधन प्रेषित किये। प्रो. तुली ने कहा कि अगर आपके साथ प्रो. उडुप्पा जैसे मार्गदर्शक एवं अनुकरणीय व्यक्तित्व हों तो आप राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण ज्ञान का योगदान दे सकते हैं, जिससे चिकित्सा संबंधी कई चुनौतियों के समाधान संभव हो सकते हैं। प्रो. श्रीधर द्विवेदी ने बताया कि प्रो. उडुप्पा ने डॉ. एपी पाण्डे. डॉ. केडी त्रिपाठी, प्रो. वीके शुक्ला, प्रो. वीपी सिंह, प्रो. टीएम मोहापात्रा समेत अनेक प्रतिभावान लोगों का मार्गदर्शन दिया, जिन्होंने आगे चलकर विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अलग पहचान बनाई। प्रो. अभिमन्यु कुमार ने कहा कि प्रो. उडुप्पा ने आयुर्वेद, आधुनिक चिकित्सा एवं योग के तीन महत्वपूर्ण विज्ञान क्षेत्रों में अपनी गहरी छाप छोड़ी। उन्होंने कहा कि प्रो. उडुप्पा ने प्राचीन एवं आधुनिक चिकित्सा के एकीकरण के विचार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में मूर्त रूप प्रदान किया।
इस अवसर पर चिकित्सा विज्ञान संस्थान से जुड़ी अनेक विशिष्ट हस्तियों ने अपने संदेश साझा किये, इनमें से कई प्रो. उडुप्पा के छात्र भी रह चुके हैं व उनके साथ कार्य भी कर चुके हैं। इनमें पद्मश्री प्रो. आर. एच. सिंह, पूर्व संकाय प्रमुख, आयुर्वेद संकाय, प्रो. पी. तिवारी, पूर्व निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, प्रो. सरोज गुप्ता, पूर्व विभागाध्यक्ष, सर्जरी विभाग, प्रो. वी. पी. सिंह, पूर्व निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, प्रो. के. एन. अग्रवाल, पूर्व निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, पद्मश्री प्रो. चूड़ामणि गोपाल, पूर्व विभागाध्यक्ष, पेडियाट्रिक सर्जरी, प्रो. एच. एस. शुक्ला, पूर्व संकाय प्रमुख, मेडिसीन, प्रो. आर. जी. सिंह, पूर्व निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, प्रो. वी. भट्टाचार्य, पूर्व विभागाध्यक्ष, प्लास्टिक सर्जरी, प्रो. टी. एम. मोहापात्रा, पूर्व निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, शामिल हैं। कार्यक्रम में चिकित्सा विज्ञान संस्थान के संकाय प्रमुख, विभागाध्यक्ष, चिकित्सक, शिक्षक व छात्र ऑनलाइन व ऑफलाइन जुड़े। प्रो. मनोड पांडे ने धन्यवाद ज्ञापन प्रेषित किया।