बीएचयू कुलपति ने दृश्य कला संकाय में प्रदर्शनी का किया उद्घाटन
बीएचयू कुलपति ने दृश्य कला संकाय में प्रदर्शनी का किया उद्घाटन
भारतीय स्वतंत्रता के 75वें वर्ष ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत लगाई गई प्रदर्शनी
वाराणसी। दृश्य कला संकाय द्वारा एक प्रदर्शनी दृश्य काशी का आयोजन किया गया जिसमे वाराणसी के 46 प्रमुख कलाकारों द्वारा कलाकृतियों को प्रस्तुत किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर शनिवार को बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन द्वारा किया गया। कुलपति ने अपने वक्तव्य में दृश्य कला के लिए तीन सूत्री दृष्टिकोण प्रस्तुत किया; एक, विजुअल आर्ट्स की वैश्विक ब्रांडिंग करना, दूसरा, आर्टवर्क की बिक्री के लिए अवसर पैदा करना और तीसरा, इंटरडिसिप्लिनरी के लिए एकीकृत दृष्टिकोण रखना। इस प्रदर्शनी की योजना भारतीय स्वतंत्रता के 75वें वर्ष ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत किया गया। इसमें ऐसे कलाकारों को स्थान दिया गया है जिनकी कला या तो एक कला प्रवृत्ति स्थापित की है या आधुनिक और समकालीन कला में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सम्मिलित कलाकृतियां पेंटिंग, मूर्तिकला, प्रिंटमेकिंग, एप्लाइड आर्ट्स, टेक्सटाइल, पॉटरी और फोटोग्राफी तथा कुछ मल्टीमीडिया इंस्टॉलेशन को लेकर हैं। दृश्य काशी में प्रदर्शित कार्यों को कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिसमें रिप्रेजेन्टेटिव, फिगरेटिव, कांसेप्ट, तथा कथानक शामिल हैं। घाटों, संकरी गलियों, मंदिरों, अखाड़ों और कई अन्य प्रतिनिधित्वात्मक विषयों का चित्रण, जो अक्सर दर्शकों द्वारा पहचाने जाने वाले स्थलों के आसपास होने वाली गतिविधियों का डॉक्यूमेंटेशन करते हैं और आम जनता के लिए एक सहज ग्राह्य होते हैं। दृश्य कला संकाय के डीन प्रो. हीरालाल प्रजापति ने अतिथि का स्वागत किया और प्रो. प्रदोष मिश्रा ने क्यूरेटोरियल अवधारणा प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन डॉ मनीष अरोड़ा ने किया। इस प्रदर्शनी में सुरश चंद्र जांगिड़, नितिन दत्त, शांति स्वरुप सिन्हा, महेश सिंह, विजय सिंह,प्रणाम सिंह, सुरेश नायर एवं छात्र अधिष्ठाता के के सिंह आदि उपस्थित रहे। यह प्रदर्शनी वैश्विक महामारी की बंदी के दीर्घ अंतराल के बंद के बाद दृश्य कला संकाय में पहली प्रदर्शनी है और इसमें समस्त अध्यापकों की सहभागिता रही है साथ ही साथ बनारस के दृश्यरूप को प्रतिबिंबित करती है। यह प्रदर्शनी 5 मार्च 2022 तक खुली रहेगी, जिसमें कला (अभ्यास और शिक्षाशास्त्र) पर व्याख्यान, संगोष्ठी, क्यूरेटोरियल वॉक, वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग, कला पर पैनल चर्चा जैसे कई शैक्षणिक कार्यक्रमों की योजना है जिनकी तारीखों की घोषणा बाद में की जाएगी।