चिकित्सक चाहते है कि दलाल एवं एमआर निरन्तर उनके चेम्बर में मौजूद रहे, इसमें किसी अधिकारी का हस्तक्षेप न हो-डॉ दिग्विजय सिंह
पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ दिग्विजय सिंह ने चिकित्सालय के कतिपय चिकित्सकों द्वारा उनके संबंध में किये गये शिकायत एवं विरोध को संज्ञान लेते हुए इसके कई प्रमुख कारण बताये हैं।
डीडीयू के सीएमएस ने फेस बायोमेट्रिक डिवाइस से हाजिरी की अनिवार्यता एवं दलालों पर सख्ती को विरोध का प्रमुख कारण बताया,डॉ डी वी सिंह ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पदभार ग्रहण करने के उपरान्त चिकित्साधिकारियों एवं कर्मचारियों को ससमय चिकित्सालय में उपस्थिति के दृष्टिगत उनके द्वारा फेस बायोमेट्रिक डिवाइस को स्थापित कराया गया, जो प्रभावी रूप से क्रियाशील है, जिसमें आने एवं जाने दोनो समय बायोमेट्रिक करना अनिवार्य है, जिसके कारण चिकित्साधिकारी में रोष रहता हैं।
डीडीयू के सीएमएस डॉ दिग्विजय सिंह ने बताया कि चिकित्सालय में मरीजों के हित को देखते हुए सायंकाल में चिकित्सकों द्वारा राउण्ड सुनिश्चित करने हेतु रजिस्टर एवं सीसी टीवी कैमरे से मानिटरिंग की जाती है, जिसका चिकित्सक विरोध करते है। डीडीयू के चिकित्सक नियमानुसार प्रातः 8 से अपराह्न 2 बजे तक ओपीडी में नही रहना चाहते है, अपने मनमाने तरीके से ओपीडी में आना एवं जाना चाहते है, जिसकी नियमित रूप से उनके द्वारा स्वयं निगरानी करने के कारण चिकित्सकों द्वारा विरोध किया जाता है। डीडीयू के सीएमएस के अनुसार चिकित्सालय में स्थापित आपरेशन थियेटर 02 बजे बन्द करना चाहते है, जबकि उनके द्वारा मरीज के हित को देखते हुए निर्धारित की गई ओ.टी. को पूरा करने के दबाव के कारण चिकित्सकों द्वारा विरोध किया जाता है। शासन की मंशा के अनुसार आकस्मिक मरीजों को विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा परामर्श प्राप्त करने के उपरान्त ही रिफर करने हेतु निर्देशित किये जाने को भी चिकित्सक विरोध करते है। उन्होंने बताया कि चिकित्सालय में दलाल किस्म के व्यक्तियों को रोकने के लिए अभियान चलाकर सुरक्षा कर्मिर्यो के माध्यम से कार्य कराया जा रहा है, जबकि चिकित्सक चाहते है कि दलाल एवं एम. आर निरन्तर उनके चेम्बर में मौजूद रहे, इसमें किसी अधिकारी का हस्तक्षेप न हो। चिकित्सकों द्वारा चिकित्सालय में सेम साल्ट की दवा उपलब्ध होने के बावजूद बाहर की लोकल कम्पनी की उच्च कीमत वाली दवा लगवाना पसन्द करते है, जिस पर भी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा कार्यवाही करने का चिकित्सक विरोध करते है। अस्पताल प्रशासन द्वारा चिकित्सालय में भर्ती होने वाले आयुष्मान भारत एवं अन्य मरीजों हेतु नियमानुसार टेण्डर कराकर गुणवत्तापरक दवाओं एवं इम्प्लान्ट की न्यूनतम मूल्य पर उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाती है, जबकि यहां के डॉक्टर अन्य माध्यमों से कम गुणवत्तापरक दवाए एवं इम्प्लान्टर उच्च कीमत पर उपलब्ध कराना पसन्द करते है। मरीज द्वारा उनके मनपसन्द दुकान से दवाए इम्प्लान्ट न खरीद पाने की दशा में बेहोशी के डाक्टर से मिलकर मरीज को सुपर स्पेशिलिटी मे दिखवाने के नाम पर रिफर कर दिया जाता है। विशेष परिस्थिति में चिकित्सको को कुछ अन्य कार्य के तौर पर नोडल/जॉच अधिकारी बनाये जाने पर उनके द्वारा लिखकर दिया जाता है कि “यह मेरा काम नही है” या अन्य प्रकार से तरह-तरह का मत दिया जाता है। विशेषज्ञ डाक्टरों द्वारा चिकित्सालय में तैनाती के कई वर्षो बाद भी आपरेशन की संख्या शून्य रहने के सम्बन्ध में पूछे जाने पर विरोध किया जाता है। किसी भी चिकित्सक द्वारा आज तक इमरजेन्सी में कोई इमरजेन्सी आपरेशन नही सम्पादित किया जाता है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा शासन की मंशा के अनुरूप किसी भी प्रकार के सी.एल./ई.एल/मेडिकल लीव को मानव सम्पदा पोर्टल के माध्यम से लिये जाने की अनिवार्यता का चिकित्सकगण द्वारा विरोध किया जाता है।