किसी को कोर्ट जाने से रोकना गंभीर आपराधिक अवमानना है- हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत जाने से रोकना या धमकाना न्याय प्रक्रिया को बाधित करना है यह गंभीर अपराधिक अवमानना है, यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने जनहित याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता को धमकाने वाले आरोपी को तलब किया है,
यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने अमित सिंह परिहार की जनहित याचिका पर दिया,
याचिकाकर्ता अमित सिंह परिहार ने पूरा खिलाफनामा दाखिल कर आरोप लगाया है कि फतेहपुर की बिंदकी तहसील के पहुर गांव में गाटा नंबर 122 स्थित सरकारी पेड़ों की अवैध कटाई से संबंधित जनहित याचिका को वापस लेने के लिए उन्हें धमकाया जा रहा है,
प्रतिवादी नंबर 9 नरेंद्र सिंह ने 22 में 2022 को उनके भाई और परिवार के अन्य सदस्यों पर हमला किया,जब यांची के लोंग थाने पहुंचे तो नरेंद्र ने कथित तौर पर पुलिस से मिली भगत करके यांची और मूल शिकायत कर्ता के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करवा दी,
आरोप है कि नरेंद्र की एफ आई आर कल्याणपुर थाने में जानबूझकर शाम 6:55 बजे दर्ज की गई ताकि उसे फायदा मिल सके, वही याचिका कर्ता की एफ आई आर बाद में रात के 11 बजकर 21 मिनट पर दर्ज की गई है हलफनामा में यह भी आरोप लगाया गया कि नरेंद्र सिंह पर महाराष्ट्र के रायगढ़ में गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज है आरोप लगाया गया कि उनके माता-पिता भाई को अभी भी धमकी दे रहा है ताकि वह वर्तमान जनहित याचिका को वापस ले ले कोर्ट ने इन आरोपों पर संज्ञान लेते हुए नरेंद्र सिंह को 13 अगस्त 2025 को दोपहर 2:00 बजे व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का आदेश दिया है कोर्ट ने फतेहपुर के पुलिस अधीक्षक को भी निर्देश दिया है कि वह याची की ओर से लगाए गए हेर फेर और कल्याणपुर के थाना प्रभारी की ओर से प्रतिवादी का पक्ष लेने के आरोप पर एक हलफनामा दाखिल करें,