करपात्र प्राकट्योत्सव का हुआ शुभारंभ
गणपति लक्षार्चन के साथ करपात्र प्राकट्योत्सव का हुआ शुभारंभ
वाराणसी, शनिवार 7 अगस्त। धर्मसंघ स्थित मणि मंदिर का प्रांगण शनिवार वेदमंत्रों से गुंजायमान रहा। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मंदिर में स्थापित गणपति की भव्य प्रतिमा का सवा लाख किसमिस (द्राक्षफल) से लक्षार्चन किया गया। दुर्गाकुण्ड स्थित धर्मसंघ शिक्षा मण्डल के तत्वावधान में प्रारंभ हुए पंच दिवसीय करपात्र प्राकट्योत्सव के प्रथम दिन गणपति लक्षार्चन सहित विविध धार्मिक आयोजन शुरू हुए। सर्वप्रथम प्रातःकाल मुख्य यजमान पण्डित जगजीतन पाण्डेय ने सविधि गणपति का पूजन किया। मुख्य आचार्य अरुण दीक्षित एवं वैदिक बटुकों द्वारा चारों वेदों का स्वस्तिवाचन किया गया। उसके पश्चात विधि विधान पूर्वक गणेश वंदना एवं किसमिस से गणपति विग्रह का षोड्षोपचार एवं राजसोपचार पूजन किया गया। आचार्य अरुण दीक्षित द्वारा गौरी गणेश का पूजन कराया गया। उसके बाद वरुण कलश पूजन किया गया। तत्पश्चात अनादि गणेश जी का दूध, दही, घी, मधु, शर्करा के सम्मिश्रण से तैयार पंचामृत स्नान कराया गया। विभिन्न फलों के रसों से फलोदक स्नान, गर्भोदक स्नान, विभिन्न पुष्पों से पुष्पोदक स्नान, चंदन से गंधोदक स्नान तथा विभिन्न तीर्थो के जल से स्नान कराने के पश्चात राज राजसोपचार विधि से गणेश जी का पूजन किया गया। उसके पश्चात मुख्य यजमान एवं 35 भूदेवो द्वारा गणपति का आह्वान कर गणेश सहस्त्रनाम में उल्लेखित गणेश जी के 1008 नामों से उन्हें किसमिस (द्राक्षा) अर्पित कर लक्षार्चन किया गया। अंत मे आरती एवं मंत्र पुष्पांजलि के साथ पूजन विधि सम्पन्न किया गया। धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज के पावन सानिध्य में प्रारम्भ हुए धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के 114 वें प्राकट्योत्सव के अवसर पर पूरे मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया था। भव्य पूजन मण्डप में गणपति की प्रतिमा के समक्ष सभी भूदेव पीत वस्त्र धारण किये हुए थे। वहीं कुछ भक्त ऑनलाइन माध्यम से आचार्य द्वारा बताए गए विधि से घर से ही पूजन में शामिल हुए। समस्त वैदिक अनुष्ठान मुख्य यजमान पण्डित जगजीतन पाण्डेय ने सम्पन्न किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से यशोवर्धन त्रिपाठी, नवीन दुबे, दयाशंकर तिवारी, रामानंद पाण्डेय, शिवपूजन पाण्डेय, अंशुमान पाण्डेय, राजमंगल पाण्डेय आदि भक्तगण शामिल रहे।