लक्षचण्डी महायज्ञ के 19वें दिन गीत एवं नृत्य सम्मेलन के माध्यम स्व स्वर कोकिला अर्पित की गई श्रद्धांजलि
लक्षचण्डी महायज्ञ के 19वें दिन गीत एवं नृत्य सम्मेलन के माध्यम स्व स्वर कोकिला अर्पित की गई श्रद्धांजलि
लता मंगेशकर ने संगीत क्षेत्र को दिया नया आयाम : स्वामी प्रखर जी महाराज
वाराणसी। संकुलधारा पोखरा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर में स्वामी प्रखर जी महाराज के सानिध्य में कोरोना महामारी के शमन हेतु चल रहे 51 दिवसीय विराट श्री लक्षचण्डी महायज्ञ किया जा रहा है। इस क्रम में रविवार को 19वें दिन नृत्य एवं संगीत सम्मेलन का आयोजन किया गया। जो भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेश्कर (लता दीदी) को समर्पित रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ स्वामी प्रखर महाराज, स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज, डॉ सज्जन प्रसाद तिवारी समेत अन्य अतिथि गणों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। स्वर कोकिला लतामंगेशकर को 500 ब्राह्मणों द्वारा स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज और डॉ सज्जन प्रसाद तिवारी के सानिध्य में शांति पाठ कर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी । कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते हुए गणेश वंदना के साथ संस्कृति अग्रवाल ने ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति की। इसके बाद आचार्य सुभाष तिवारी ने वैदिक मंगलाचरण व डॉ सज्जन प्रसाद तिवारी ने पौराणिक मंगलाचरण की प्रस्तुति की। सुप्रियो मैत्री और उनकी टीम ने ध्रुपद गायन की प्रस्तुति कर सभी को ओतप्रोत कर दिया इसके साथ ही ईशा गुप्ता ने लता द्वारा गाये “ए मेरे वतन के लोगों” देश भक्ति गीत की प्रस्तुति कर स्वर कोकिला को श्रद्धा सुमन अर्पित की। वहीं राकेश तिवारी ने जय जगदीश्वरी, मात महेश्वरी, हम भक्तों के भवन विराजो, पूर्ण हमारे काम करो…. भजन की प्रस्तुति कर देवी नवरात्र का वर्णन किया। कार्यक्रम के मध्य भाग में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां साहब के घराने से आये कौसर अली व उनकी टीम ने शहनाई वादन किया। पं राजन- साजन मिश्र की शिष्या डॉ अर्चना आदित्य म्हसकर ने गायन की प्रस्तुति की। पं अशोक पांडेय ने तबला, पं सुखदेव मिश्रा ने वायलन, विशाल कृष्ण ने कथक, संस्कृति शर्मा ने कथक व कार्यक्रम प्रभारी जय पांडेय ने गायन की भव्य प्रस्तुति की। साथ ही अन्य कलाकारों ने भी अपनी अपनी कलाओं की प्रस्तुति कर मां सस्वती के चरणों में भावांजलि प्रस्तुत की। वहीं पूरा परिसर तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजित रहा। इस अवसर पर स्वामी प्रखर महाराज ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि काशी बाबा विश्वनाथ की नगरी है और कला- संस्कृतियों का शहर है। ऐसी पावन नगरी में इतना बड़ा महायज्ञ हो और बाबा भोले का अतिप्रिय संगीत विधा यदि न हो तो यह भगवान का तिरस्कार होगा, अपमान होगा। इसलिए सभी कार्यक्रमों के साथ गीत-संगीत कार्यक्रम का आयोजन अति आवश्यक था। इसके साथ ही भारत रत्न स्वर कोकिला लता जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए स्वामी जी ने कहा कि लता जी देश के अनमोल रत्नों में एक थीं। ऐसे महान कलाकार कई हजार वर्षों में एक बार जन्म लेते हैं। उन्होंने अपने समृद्ध स्वर से संगीत को नई ऊंचाइयां दी। उनका निधन पूरे भारत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें। स्वागत भाषण अनुराधा अग्रवाल ने दिया व मंच संचालन अंकिता व जय पांडेय ने किया। देर रात वृंदावन के श्री राधा सर्वेश्वरी समूह द्वारा प्रस्तुत किये जा रहे श्रीकृष्ण रासलीला में प्रभु श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव प्रसंग की प्रस्तुति की गई। इससे पूर्व सुखदेव जी जन्म, परिक्षित जी जन्म व कंस अत्याचार प्रसंग की प्रस्तुति की गई। इस अवसर पर महायज्ञ समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार खेमका, सचिव संजय अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सुनील नेमानी, संयुक्त सचिव राजेश अग्रवाल, डॉ सुनील मिश्रा, अमित पसारी, शशिभूषण त्रिपाठी, अनिल भावसिंहका, मनमोहन लोहिया, विकास भावसिंहका आदि लोग उपस्थित रहे।