मानव के ताप और पाप को दूर करता है मानस
मानस मर्मज्ञ ने कहा मानव के ताप और पाप को दूर करता है मानस
वाराणसी 16 अगस्त । तुलसी घाट पर चल रहे गोस्वामी तुलसीदास जयंती समारोह के दूसरे दिन आयोजित मानस सम्मेलन में उपस्थित मानस मर्मज्ञ ने कहा कि कलिकाल में मानव के कष्ट एवं पापों को नष्ट करने वाली है रामचरितमानस, यह सिर्फ एक ग्रंथ ही नहीं यह मानव के जन्म से लेकर परलोक तक के तक को सुधारने वाली है । मानस मर्मज्ञ पारसनाथ पांडे ने कहा कि कलिकाल में मानस रूपी ग्रंथ से के सहारे मानव जन्म मरण के सागर से पार हो सकता है साथ ही यह जीवन को भी समर्थ सकता है । मानस वक्ता राघवेंद्र पांडे ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचरितमानस की रचना कर सनातन संस्कृति कोशिश बचाने का ही कार्य नहीं किया बल्कि सनातन धर्म को मानने वालों एक ऐसा ग्रंथ दीया जिसके सहारे वह अपनी जीवन नैया को पार कर आ सकता है कथा वक्ता श्याम सुंदर पांडे ने कहा कि मानस सिर्फ ग्रंथ ही नहीं है बल्कि यह साक्षात भगवान राम का चरित्र है और इस चरित्र से मानव सीख ले कर अपने घर अपने समाज राम राज्य की स्थापना कर सकता है। इसके पूर्व अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र ने गोस्वामी जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पूजन करके दूसरे दिन के समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर महंत जी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी मानस से बहुत सीख ले सकती है यह हुआ यह युवा पीढ़ीके भविष्य को बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। युवा पीढ़ी को मानस से सीख लेते हुए भगवान राम लक्ष्मण भरत सहित मानस के पात्रों से सीख लेनी चाहिए जिससे उनका जीवन सवार सके दूसरे दिन की गोष्टी में मिर्जापुर से पधारे रामेश्वर त्रिपाठी, गाजीपुर से पधारे श्रीकांत पाठक सहित प्रेम शंकर त्रिपाठी रामकृष्ण त्रिपाठी आदि ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि मानस के सहारे मानव का जीवन ही अगला जन्म भी पार हो सकता है। कार्यक्रम का संचालन राघवेंद्र पांडे ने किया । इस अवसर पर ऋतुराज कात्यायन ने भजनों की प्रस्तुति भी कर परिसर को राम में बना दिया। समारोह में अशोक पांडे, राजेश मिश्र सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे।