योग्यता में वृद्धि को पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संम्पन्न
योग्यता में वृद्धि को पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संम्पन्न
मानसिक रूप से अक्षम बालक भी हो सकते हैं सक्षम पहचानने और सक्षम बनाने में समाज और विशेष शिक्षक की भी अहम भूमिका
रोहनिया-मानसिक रूप से अक्षम बालकों को भी सक्षम बनाया जा सकता है। आधुनिक विज्ञान चिकित्सा तकनीकी और विभिन्न मनोवैज्ञानिक नैदानिक प्रयोगों से यह संभव है। यह बात दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के उपनिदेशक यादवेंद्र सिंह ने अमरावती पुरुषोत्तम राजकीय बहुदेश्शीय दिव्यांग विकास संस्थान खुशीपुर में आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में कही। संस्थान में डिस्लेक्सिया एवं एडीएचडी से प्रभावित बच्चों की पहचान हेतु मास्टर ट्रेनर्स का पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित था।
जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी राजेश मिश्रा ने दिव्यांगता के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि मानसिक दिव्यांग ता को दूर करने में विशेष शिक्षक, मनोवैज्ञानिक, जागरूक नागरिकों की अहम भूमिका है। कहा की जागरूक लोगों को ऐसे बालकों की खोज कर उनको समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रयास करना चाहिए। कहा कि दिव्यांग जनों को प्रशिक्षित कर उनमें आत्मविश्वास की वृद्धि की जा सकती है। प्रशिक्षण कार्यक्रम को काशी हिंदू विश्वविद्यालय की मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर रश्मि चौधरी ने संबोधित करते हुए पठन कौशल, लेखन कौशल एवं गणितीय कौशल विकृति के बारे में चर्चा की। मनोवैज्ञानिक डॉक्टर अजय तिवारी ने मंदबुद्धि बालक के बारे में चर्चा की।उन्होंने कहा कि सीखना एक प्रक्रिया है।कुछ बच्चे सीखने में देरी करते हैं यह एक तरह का डिसऑर्डर है जिसे काउंसलिंग के द्वारा दूर किया जा सकता है।कार्यशाला को डॉक्टर नीला विशालालक्ष्मी,रमेश सिंह, ने भी संबोधित किया। प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण उपरांत दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग उत्तर प्रदेश से मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र दिया गया। इस अवसर पर दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग के प्रशिक्षक नरेंद्र कुमार राय, सौरभ, प्रशिक्षार्थी ओंकार नाथ राय,प्रणय कुमार सिंह,अरविंद कुमार,लव कुश शर्मा,रश्मि शुक्ला,रमेश मौर्य सहित बहुत से प्रशिक्षार्थी उपस्थित थे।