पुतिन द्वारा दिए गए वार्ता प्रस्ताव को यूक्रेन ने फिर ठुकराया,
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेन्स्की बेलारूस की जगह किसी अन्य पड़ोसी देश में रूस से वार्ता करने को तैयार,
विशेषज्ञों की राय यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेन्स्की और पुतिन को बातचीत से हल निकालने का प्रयास करना चाहिए,
लोग आशंकित है की पुतिन को मिलेगी जीत या अमेरिका को होगी निराशा, यूक्रेन की सरकार ने पहले ही संकेत दे दिया है कि वह रूस के साथ बातचीत के लिए तैयार है। इससे रूस का नाटो के अपनी सीमा तक आने का डर खत्म हो जाएगा और पुतिन को वह मिल जाएगा जो वह चाहते हैं। वहीं अमेरिका समेत नाटो देशों को गहरी निराशा हाथ लगेगी। इस पूरे घटनाक्रम से अमेरिका और अन्य नाटो देश एक ऐसे सहयोगी के रूप में प्रचारित हो जाएंगे जिसने यूक्रेन को संकट के समय अकेला छोड़ दिया और उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
सेना के यूक्रेन पर हमला करते हुए अब 4 दिन बीत गए हैं लेकिन अभी तक इस जंग का हल होता नहीं दिख रहा है। यूक्रेन की सेना ने रूसी सेना को करारा जवाब दिया है और कई सैनिकों और फाइटर जेट को तक को मार गिराए हैं। अब ऐसे में अफगानिस्तान का उदाहरण देकर विशेषज्ञ रूस को सलाह दे रहे हैं कि यूक्रेन में जंग बंद करने में ही भलाई है। दरअसल, जब भी कोई सुपरपावर किसी अन्य देश में हस्तक्षेप करती है तो उसके लिए घुसना आसान होता है लेकिन निकलना बेहद मुश्किल होता है। सोवियत संघ का अफगानिस्तान में हस्तक्षेप,अमेरिका वियतनाम, इराक, अफगानिस्तान अभियान इस बात के उदाहरण है कि महाशक्तियों को हमला करने के बाद लंबे समय तक न केवल वहां रहना पड़ा बल्कि उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में जंग छेड़ दी है। इस जंग में हर दिन 20 अरब डॉलर खर्च हो रहे हैं। ऐसे में अब पुतिन को यह बात अपने दिमाग में साफ रखनी चाहिए कि कब और कैसे इस जंग को खत्म करना है। अगर शांत दिमाग से सोचें तो यह यूक्रेन की सरकार को नाटो में नहीं शामिल होने और पश्चिमी देशों तथा रूस के बीच सुरक्षा के सभी मामलों में तटस्थ देश बनने की मांग को मनवाने का सबसे अच्छा मौका है वही विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि रूस का यूक्रेन को हल्के में लेना अब भारी पड़ रहा है कई अन्य देशों का यूक्रेन के समर्थन कर रूस का विरोध करना पुतिन की मुश्किलें बढ़ा रही है,