पुरातत्त्व के तकनीकि प्रशिक्षण पर शिविरों का हुआ आयोजन
ज्ञान-प्रवाह में पुरातत्त्व के तकनीकि प्रशिक्षण पर शिविरों का हुआ आयोजन
वाराणसी, रविवार 21 फरवरी। प्रयास के द्वारा अर्जित किए गये ज्ञान का सर्वश्रेष्ठ उपयोग ये है कि निरन्तर अभ्यास के द्वारा उसके स्वरूप को अक्षुण्ण रखा जाए तथा साथ ही केवल अपने तक सीमित न रख कर उसे अधिक से अधिक लोगों में वितरित किया जाए जिससे वह समाज में दूर-दूर तक फैल कर सर्वाधिक लोगों के लिए लाभप्रद सिद्ध हो सके। इस प्रक्रिया को अमल में लाने से उस ज्ञान की वृद्धि के साथ ही साथ उसमें विकास की संभावना भी हमेशा बनी रहती है जिससे प्रगति के साथ समाज में परिवर्तन आता है। ये विचार ज्ञान-प्रवाह के आचार्य प्रो. युगल किशोर मिश्र ने सामने घाट स्थित सांस्कृतिक अध्ययन एवं शोध केन्द्र ज्ञान-प्रवाह में आयोजित प्राचीन ईमारतों का प्रलेखन भवनों की योजना और उन्नयन का विवरण तथा प्रस्तर कालीन अवशेषों का प्रलेखन पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल और नवीनपाषाण काल के उपकरणों के रेखा- चित्र तथा विवरण नामक दो शिविरों के समापन के अवसर पर व्यक्त किये।
- ज्ञान-प्रवाह में इन दिनों तकनीकि प्रशिक्षण शिविर : पुरातात्विक अवशेषों का प्रलेखन एवं विवेचन
विषय पर चार शिविरो का आयोजन किया गया है जिनका संचालन प्रो. आर.सी. शर्मा चेयर फॉर आर्ट एण्ड
आर्कियोलॉजी की फेलो प्रो. विदुला जायसवाल कर रही हैं। दो शिविरों के समापन के अवसर पर श्रीमती कृष्णा
नेवटिया ने सभी प्रतिभागीयों को प्रमाण पत्र प्रदान किए। संस्था की मानद निदेशिका प्रो. कमल गिरि ने अंत में
सबका आभार व्यक्त किया । ज्ञान-प्रवाह के शैक्षणिक सत्र 2020-2021 का यह प्रथम कार्यक्रम है इसके पूर्व
होने वाले सभी कार्यक्रमों को कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था