रूस के तेल ने किया खेल, महाशक्ति को भी भारत से गुहार लगाने को किया मजबूर,
अमेरिका ने तेल के मुनाफे को सिमित कर रूस के आर्थिक श्रोत पर शिकंजा कसने को भारत से की सिफारिश,
रूस के तेल निर्यात पर पश्चिम देश और अमेरिका ने कई प्रतिबंध लगा रखे हैं इसके बावजूद भारत और रूस के बीच तेल का कारोबार अपने सबसे उच्चतम स्तर पर है, मामले को देखते हुए भारत का दौरा कर रहे अमेरिका के दो वित्तीय अधिकारियों ने नई दिल्ली से तेल के दामों में नियंत्रण रखते हुए रूस के मुनाफे को सीमित रखने की गुजारिश की है, वहीं दूसरी ओर उन्होंने ये ग्लोबल एनर्जी मार्केट में स्थिरता बनाए रखने की भी बात कही है,वित्त विभाग की ओर से बुधवार को एक बयान में कहा गया कि आतंकवादी वित्तपोषण के लिए कार्यवाहक सहायक सचिव अन्ना मॉरिस और आर्थिक नीति के लिए पीडीओ (PDO) के सहायक सचिव एरिक वान नॉस्ट्रैंड सरकारी और निजी क्षेत्र के अधिकारियों से मिलने के लिए 2 से 5 अप्रैल के बीच भारत के दौरे पर हैं,
बयान में आगे कहा गया कि ये अधिकारी प्रमुख द्विपक्षीय मुद्दों पर भारत से चर्चा करेंगे, इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और और आतंकवाद के वित्तपोषण, अन्य अवैध वित्तीय मुद्दों के साथ तेल के प्राइस कैप समेत कई मुद्दों पर चर्चा होगी, जिससे रूस के मुनाफे को कम करके और वैश्विक स्तर पर ग्लोबल एनर्जी को बनाए रखा जाए,
फरवरी 2022 में रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू होने के बाद जी 7 देश, यूरोपियन यूनियन और ऑस्ट्रेलिया ने प्राइस कैप लागू कर दिया था. प्राइस कैप 60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल या उससे अधिक कीमत पर रूसी तेल के ट्रांसपोर्ट करने पर रोक लगाती है,साल 2023 में भारत, रूस का सबसे बड़ा तेल निर्यातक था. भारत और रूस के बीच मजबूत आर्थिक और सैन्य संबंध हैं, भारत ने यूक्रेन के ऊपर हमला करने पर मॉस्को की आलोचना करने से परहेज किया. ऐसी स्थितियों में भारत का स्टैंड हमेशा से न्यूट्रल रहा है,
गुरुवार को नई दिल्ली के अनंत एस्पेन सेंटर में आयोजित होने वाले क्वेश्चन-आंसर सेशन में अमेरिकी वित्तीय अधिकारी मॉरिस और नॉस्ट्रैंड प्राइस कैप को लेकर चर्चा करेंगे,
पिछले महीने के एक ब्लॉग पोस्ट में मॉरिस और नॉस्ट्रैंड ने जिक्र किया था कि तेल के प्राइस कैप का दूसरा फेज को अचीव करने की कोशिश की जाएगी. रूस को तेल से कम से कम मुनाफा मिले और मार्केट की स्टेबिलिटी बनी रहे इस पर जोर दिया जाएगा,
एक बयान में कहा गया कि तेल के प्राइस कैप के दूसरे चरण के शुरू होने के बाद से रूस के तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है. इसके चलते वैश्विक स्तर पर भी तेल की कीमतों में समय के साथ गिरावट दर्ज की गई है. लेकिन कम कीमत पर तेल बेचने के बाद रूस के तेल निर्यात में वृद्धि हुई है,