लॉकडाउन के समय के किराए की दुकानदारों से जबरन वसूली के परिपत्र का शुरू हुआ बीएचयू परिसर में विरोध
लॉकडाउन के समय के किराए की दुकानदारों से जबरन वसूली के परिपत्र का शुरू हुआ बीएचयू परिसर में विरोध
बीएचयू परिसर में दुकानदारों से पिछले एक साल का किराया वसूली और किराए की दर में वृद्धि के विरोध में जॉइंट ऐक्शन कमेटी बीएचयू के छात्रों ने कुलपति को सौंपा ज्ञापन
वाराणसी, बुधवार 24 मार्च। जॉइंट ऐक्शन कमेटी बीएचयू ने कैंपस में दुकानदारों के किराया वृद्धि और पिछले एक साल में लॉकडाउन के दौरान हुई बन्दी के समय का भी किराया वसूलने की शुरू हुई प्रक्रिया का कुलपति को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंप छात्रों ने इस प्रकिया का विरोध दर्ज कराया। JAC BHU के सदस्यों ने परिसर के दुकानदारो से मिलकर उन्हें समर्थन का भरोसा भी दिलाया है।
ज्ञातव्य है कि सम्पदा कार्यालय कुलसचिव(बीएचयू) की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के द्वारा कहा गया है कि,
1- विवि परिसर में स्थित दुकानों का किराया 20 रु प्रति वर्गफीट की दर से बढ़ा दिया गया है।
2- V.T., IMS आदि के अलावे अन्य स्थलों के दुकानों की दर 10 रु प्रति वर्गफीट रखी गयी है।
3 – पत्र में 5% प्रतिवर्ष की दर से वृद्धि की भी बात कही गयी है।
4 – पिछले बकाये का भुगतान 10 दिन अंदर अनिवार्य रूप से करने के आदेश के साथ ही लाइसेंस नवीनीकरण के लिए बकाया भुगतान को एक अनिवार्य शर्त जैसी भाषा भी उपयोग की गयी है।
5 ATM के भी किराए में बेतहाशा वृद्धि की गई है।
छात्रों ने ज्ञापन के द्वारा कहा कि पिछले एक वर्ष से कुलपति के आदेश से ही परिसर बंद है। कुलपति के ही आदेश से दुकानें खुली नहीं हैं। रोजगार के आंकड़े न केवल परिसर में बल्कि पुरे देश में बुरे हाल में है। लोगबाग किस तरह से अपना परिवार चला रहे है ये आठवें वेतनमान के सपने बुन रहा सरकारी कारिंदा समझने में बार बार भूल कर जा रहा है। बीएचयू प्रशासन द्वारा जारी ये परिपत्र और इसकी भाषा न केवल अमानवीय है , बल्कि विधिविरुद्ध भी प्रतीत हो रही है। कुलपति से प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि दुकाने आपके आदेश से बंद की गयी है तो उक्त अवधि का किराया मांगना किसी भी प्रकार से जायज़ नही कहा जा सकता है। ऐसे में उक्त अवधि का किराया मांगना हास्यास्पद अपराध जैसा प्रतित हो रहा है। देश में कोविड के बढ़ते आंकड़े , छात्रों को घर वापस भेजे जाने के निर्देश , परिसर में जन आवागमन में कमी और आंशिक बंदी के बीच पूर्ण बंदी की सुगबुगाहट के समय में 20 रु प्रति वर्गफीट की दर और 5% की वार्षिक ग्रोथ असहनीय दंड जैसा प्रतीत हो रहा है। अजीब है कि देश मे कोविड से उपजे आर्थिक हालात को बिल्कुल असंवेदनशील तरीके से डील किया जा रहा है। गरीब मध्यम वर्ग एक त्रासदी से जूझ रहे है। ऐसे में साधारण छात्रों को 5 रु के समोसे और 5 रु की चाय उपलब्ध कराने वाले दुकानदार से ऐसे बढ़े हुए रेट से वसूली करना कत्तई उचित नही है। छात्रों ने कहा है कि तत्काल प्रभाव से ये जनहित विरोधी परिपत्र वापस लिया जाना चाहिए। ज्ञापन देने में मुख्य रूप से अनुष्का, जय मौर्य, मिथिलेश, मुरारी, विवेक मिश्रा, विवेक कुमार,नीरज , रजत सिंह, दिवाकर सिंह आदि छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।